गाय वीडियो विवाद- बतायें, 'अमूल' गायों के प्रति क्रूर कैसे हो रहा है: दिल्ली हाईकोर्ट ने अमूल की याचिका पर वीडियो अपलोड करने वाले से पूछा
बेंच ने कोई भी अंतरिम आदेश जारी करने से परहेज किया और वीडियो अपलोड करने वाले व्यक्ति को जवाब देने का एक मौका दिया।
दिल्ली हाईकोर्ट ने 'अमूल' ट्रेडमार्क के तहत दूध एवं अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स बेचने वाले गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) लिमिटेड की ओर से दायर मामले में नितिन जैन नामक व्यक्ति से यह बताने को कहा है कि अमूल या इस सोसाइटी के सदस्य किस प्रकार गायों के साथ क्रूरता में शामिल हैं, जैसा कि उसने अपने अपलोडेड वीडियो में जिक्र किया है।
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की बेंच ने कोई भी अंतरिम आदेश जारी करने से परहेज किया और प्रतिवादी संख्या – 1 (नितिन जैन, विवादित वीडियो अपलोड करने वाला व्यक्ति) को अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।
कोर्ट के समक्ष मामला :
गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) लिमिटेड की ओर से एक याचिका दायर की गयी है, जिसमें उन वीडियो को हटाने की मांग की मांग की गयी है, जिनमें गायों के प्रति क्रूर होने का उस पर आरोप लगाया गया है।
इस वाद में गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) लिमिटेड ने यूट्यूब और फेसबुक से वीडियो हटाने की मांग करते हुए दावा किया है कि जिस व्यक्ति ने ये वीडियो अपलोड किये हैं, वह इसे निशाना बना रहे हैं।
इस वाद में यह भी दलील दी गयी है कि नितिन जैन द्वारा अमूल के मैस्कॉट के इस्तेमाल के साथ अपलोड किये गये वीडियो निंदात्मक और अपमानजनक हैं तथा अमूल ब्रांड और ट्रेडमार्क को बदनाम करने वाले हैं।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, वीडियो का शीर्षक है :
"अनहोली कैटल ऑफ इंडिया : एक्सपोजिंग क्रूएल्टी इन द इंडियन डेयरी इंडस्ट्री" ("भारत के अपावन जानवर : भारतीय डेयरी उद्योग में क्रूरता का पर्दाफाश")
प्रतिवादी संख्या 1 (नितिन जैन, जिस व्यक्ति ने विवादित वीडियो अपलोड किये हैं) के वकील की ओर से यह दलील दी गयी कि ये वीडियो वर्ष 2018 से ही पब्लिक डोमेन में हैं। वकील ने यह भी दावा किया कि यह ट्रेड मार्क्स कानून की धारा 29 के अपवाद के तहत आता है, क्योंकि वादी के ट्रेड मार्क का इस्तेमाल प्रतिवादी वाणिज्यिक उद्देश्य से नहीं कर रहा है।
इस दलील के मद्देनजर कोर्ट ने कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं किया और प्रतिवादी को अपना जवाब दाखिल करने का अवसर दिया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा,
"प्रतिवादी संख्या 1 अपने जवाबी हलफनामा में यह भी बतायेंगे कि वादी (गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड) या इस सोसाइटी के सदस्य गायों के प्रति क्रूरता में किस तरह लिप्त हैं, जैसा कि वीडियो में दिखलाया गया है और वादी के मैस्कॉट का इस्तेमाल क्यों किया गया है?"
जवाबी हलफनामा के साथ ही, प्रतिवादी संख्या 1 को यह भी बताने का निर्देश दिया गया है कि क्या उसने उन वीडियो से कोई लाभ अर्जित किया है और यदि हां, तो उससे संबंधित खाते का विवरण क्या है?
केस का शीर्षक : गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड एवं अन्य बनाम नितिन जैन एवं अन्य [ सीएस (कॉम) 540/ 2020 ]
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