COVID19- "जीवनरक्षक दवाओं की कालाबाज़ारी" : झारखंड हाईकोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर को फटकार लगाते हुए सरकार को दवाओं और ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया

Update: 2021-04-28 13:45 GMT

अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने और जीवन-रक्षक दवाओं की कालाबाजारी पर रोक लगाने में असफल रहने वाली ड्रग कंट्रोलर (झारखंड राज्य के लिए) को फटकार लगाते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह कहा था कि यह बहुत ही 'दुर्भाग्यपूर्ण' है कि इस अधिकारी ने न्यायालय के समक्ष व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट मांगी है।

मुख्य न्यायाधीश रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ कोरोना महामारी की आपातकाल स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार द्वारा की गई तैयारियों का जायजा लेने के लिए स्वत संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी।

गौरतलब है कि इस मामले में पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने झारखंड राज्य द्वारा कोरोना के मामलों में आए हालिया उछाल को संभालने के तरीके पर चिंता व्यक्त की थी।

अदालत ने इसे ''चिंता का गंभीर मुद्दा'' कहा था, जबकि ड्रग कंट्रोलर ने प्रस्तुत किया था कि रेमडेसिवीर इंजेक्शन और फेविपिरवीर टैबलेट शीर्ष चिकित्सा दुकानों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं, लेकिन लोग वहां से खरीद नहीं कर रहे हैं।

झारखंड हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी करने से एक दिन पहले ही कहा था कि झारखंड स्वास्थ्य आपातकाल की ओर बढ़ रहा है और सीटी स्कैन मशीन की अनुपलब्धता गंभीर चिंता का विषय है।

ड्रग कंट्रोलर ने व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट मांगी

17 अप्रैल को, कोर्ट ने कहा था कि ऑनलाइन मोड के माध्यम से ड्रग कंट्रोलर कोर्ट के समक्ष पेश हों क्योंकि कोर्ट द्वारा रेमडेसिवीर और फेविपिरवीर जैसी दवाओं व अन्य संबंधित दवाओं की कालाबाजारी पर नियंत्रण करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बार-बार पूछे गए सवालों के बावजूद उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं दिया जा रहा था।

हालांकि, कोर्ट में उपस्थित न होने के कारण को दर्शाते हुए एक मेमो दाखिल किया गया अर्थात ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए आपूर्तिकर्ताओं को लाइसेंस जारी करने में उनकी व्यस्तता की बात कहते हुए व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट मांगी गई।

इस पर, अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि,

''ड्रग कंट्रोलर की ओर से इस आधार पर पर छूट मांगना दुर्भाग्यपूर्ण है, जबकि दूसरी ओर, इस अदालत को सूचित किया गया है कि वह मीडिया के लोगों को साक्षात्कार देने में व्यस्त हैं।''

इसके अलावा, अदालत ने कहा कि एक राज्य में ड्रग कंट्रोलर को मुख्य रूप से दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति करने और ऐसी दवाओं की कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिए नियुक्त किया जाता है और कोरोना महामारी जैसी स्थिति में जहां अधिकांश लोगों को रेमडेसिवीर और फेविपिरवीर जैसी जीवन रक्षक दवाएं व अन्य संबंधित दवाईयां नहीं मिल रही हैं, जबकि दूसरी तरफ ऐसी दवाओं की कालाबाजारी हो रही है।

इसलिए, न्यायालय ने कहा कि,

''प्रथम दृष्टया, ऐसा प्रतीत होता है कि ड्रग कंट्रोलर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रही है, क्योंकि कालाबाजारी पर रोक लगाना भी ड्रग कंट्रोलर के वैधानिक कर्तव्यों में से एक है।''

इसके अलावा, न्यायालय ने कहा कि भारत के संविधान के आर्टिकल 226 के तहत बैठे न्यायालय द्वारा पारित आदेश से बचने के लिए ड्रग कंट्रोलर जैसे अधिकारियों द्वारा किए गए आचरण की सराहना नहीं की जा सकती है। वहीं कोर्ट ने इस अधिकारी को गुरुवार को उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए कहा ( 29 अप्रैल) है।

राज्य की दलीलें

महाधिवक्ता ने अदालत को सूचित किया कि जहां तक राज्य के सरकारी व निजी,दोनों तरह के अस्पतालों में ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखने का सवाल है तो अब तक इस दिशा में पूरी ईमानदारी से प्रयास गया है।

उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार राज्य भर के विभिन्न सदर अस्पतालों में उक्त उद्देश्य के लिए संयंत्र लगाने लगाकर ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए काफी प्रयास कर रही है।

जहां तक रेमडेसिवीर और फेविपिरवीर दवाओं की आपूर्ति का संबंध है तो यह प्रस्तुत किया गया था कि इन दवाओं की कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिए ईमानदारी से प्रयास किए जाएंगे और जिन अस्पतालों और चिकित्सा दुकानों को इन दवाओं की सप्लाई की जाएगी,उनके नाम बड़े पैमाने पर लोगों की जानकारी में लाने के लिए रांची और अन्य जगहों से प्रकाशित होने वाले प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित किए जाएंगे।

यह भी प्रस्तुत किया गया था कि राज्य सरकार रेमडेसिवीर और फेविपिरवीर जैसी दवाओं की आपूर्ति के लिए गंभीर प्रयास करेगी।

अंत में, मामले को आगे की सुनवाई के लिए गुरुवार (29 अप्रैल) को पोस्ट करते हुए, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह निम्नलिखित के संबंध में उठाए गए कदमों के बारे में अवगत कराएः

-COVID19 वायरस से प्रभावित व्यक्तियों के इलाज के लिए जीवन रक्षक दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखने के लिए,

- सरकारी व निजी,दोनों तरह के अस्पतालों में ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखने के लिए

-जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी पर नियंत्रण लगाने के लिए उठाए गए कदमों व इस संदर्भ में आगे क्या किया जा रहा है।

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