दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल में COVID-19 मरीजों की मौत: परिवार वालों ने एसआईटी जांच, मुआवजे की मांग करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया
दिल्ली हाईकोर्ट में नौ पीड़ितों के परिवार ने याचिका दायर की है, जिसमें 23 और 24 अप्रैल को दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल में हुई मौतों की सीबीआई की SIT जांच, महत्वपूर्ण रिकॉर्ड और सीसीटीवी फुटेज को जब्त करने और उनके परिवार वालों को मुआवजा देने की मांग की गई है।
अधिवक्ता उत्सव बैंस के माध्यम से दायर याचिका में एकल माता-पिता, अनाथों या उन परिवारों को मासिक भरण-पोषण भत्ता प्रदान करने की भी प्रार्थना की गई है, जिन्होंने प्रतिवादी अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण घर को चलाने सदस्य को खो दिया है।
याचिका निम्नलिखित को प्रतिवादी बनाती है- भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय , गृह मंत्रालय, दिल्ली के एनसीटी सरकार, दिल्ली के एनसीटी सरकार के स्वास्थ्य विभाग और जयपुर गोल्डन अस्पताल।
याचिका में कहा गया है कि,
" यह मालूम होने के बावजूद कि ऑक्सीजन की कोई कमी COVID-19 रोगियों के जीवन के लिए घातक होगी और तुरंत उनकी मृत्यु का कारण बन सकती है, फिर भी अधिकारी निष्क्रिय और ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति प्रदान करने में विफल रहे। प्रतिवादियों ने न केवल मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं बल्कि उन पर आपराधिक मुकदमा चलना चाहिए।
याचिका में कहा गया कि दिल्ली के एनसीटी के स्वास्थ्य विभाग की तीन सदस्यीय समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट गलत है। याचिका में कहा गया है कि डॉक्टरों ने रिपोर्ट में मौत का कारण श्वसन तंत्र के फेल होने का उल्लेख किया है जबकि समय पर उचित ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होने पर मृत्यु हुई है।
अस्पताल का मामला है कि जब ऑक्सीजन की आपूर्ति समय पर नहीं हुई तो मृतक को ऑक्सीजन सिलेंडर पर डाल दिया गया, हालांकि अपेक्षित प्रेशर नहीं था और उसी के कारण ऑक्सीजन की कमी से दम घुटने से रोगियों की मृत्यु हो गई। याचिका में कहा गया है कि अवलोकन समिति की रिपोर्ट के मुताबिक मरीज़ों को किसी प्रकार की ऑक्सीजन थेरेपी मिल रही थी। यह रिपोर्ट न्यायालय को गुमराह करने के लिए बनाई गई है। समिति ने अस्पताल में ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति के मुद्दे की जांच नहीं की।
याचिका में इसे देखते हुए प्रार्थना की गई है कि 2 मई की उक्त रिपोर्ट को रद्द कर दिया जाए और मामले में याचिकाकर्ताओं के परिवार के सदस्यों की मौत के कारणों की सीबीआई द्वारा नए सिरे से जांच की जाए।
याचिका में कहा गया है कि,
"आरोपी को यह पता था कि यदि मरीजों को ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होती है तो इससे मरीजों की जान चली जाएगी। भारतीय दंड संहिता की धारा 304 का मामला बनता है। यह आवश्यक घटक को पूरा करता है अर्थात जो कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति की गैर इरादतन तरीके से हत्या (जो हत्या की श्रेणी में न आता हो) करता है या फिर ऐसा कोई कार्य करता है जो किसी की मृत्यु का कारण बन जाए या ऐसी कोई चोट पहुंचाता हो जिससे किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसे आजीवन कारावास की सजा दी जाती है और आर्थिक जुर्माना से भी दंडित किया जाता है।"
याचिका में निम्नलिखित प्रार्थनाओं की गई हैं:
- कोर्ट द्वारा 23/24.04.2021 को प्रतिवादी संख्या 5 अस्पताल में हुई मौतों के मद्देनजर सीबीआई एसआईटी जांच और समयबद्ध तरीके से इस न्यायालय के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए आदेश या निर्देश दिया जाए।
- कोर्ट जयपुर गोल्डन हॉस्पिटल, नई दिल्ली के 23.04.2021 और 24.04.2021 तक के सीसीटीवी फुटेज और अन्य महत्वपूर्ण रिकॉर्ड को जब्त करने के लिए रिट, आदेश या निर्देश जारी करें।
- सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के (तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट) द्वारा प्रस्तुत दिनांक 02.05.2021 की रिपोर्ट को रद्द करने के लिए रिट, आदेश या निर्देश जारी करें। ।
- भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए पीड़ितों के परिवार वालों को मुआवजा देने के लिए प्रतिवादी को रिट, आदेश या निर्देश दिया जाए।
- प्रतिवादियों को एकल माता-पिता, अनाथों या उन परिवारों को मासिक भरण-पोषण भत्ता प्रदान करने के लिए रिट, आदेश या निर्देश दिया जाए, जिन्होंने प्रतिवादियों की निष्क्रियता के कारण अपने कमाने वाले सदस्य को खो दिया है।
- ऑक्सीजन की आपूर्ति न करने के लिए जिम्मेदार दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रतिवादियों को रिट, आदेश या निर्देश दिया जाए।