COVID-19: उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 5 शहरों में लॉकडाउन लगाने के आदेश को लागू करने से इनकार किया

Update: 2021-04-19 16:43 GMT

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के 5 शहरों में लॉकडाउन लगाने के हाईकोर्ट के आदेश को लागू करने से इनकार कर दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने COVID-19 के तेजी से बढ़ते मामलों के मद्देनजर लगभग पूरे यू.पी. और विशेषकर प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी, कानपुर और गोरखपुर जैसे शहरों में चिकित्सा बुनियादी ढांचे में कमी के चलते सोमवार (19 अप्रैल) से 26 अप्रैल तक इन शहरों में लॉकडाउन लगाने का आदेश दिया।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आज (सोमवार) उत्तर प्रदेश के 5 शहरों में लॉकडाउन का आदेश देते हुए राज्य सरकार के खिलाफ एक लंबे अनुभव और सीखने के एक साल बाद भी पर्याप्त तैयारी नहीं करने के लिए कुछ सख्त टिप्पणियां कीं।

उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बयान जारी कर कहा कि,

"आज उच्च न्यायालय के आदेश में यूपी सरकार के प्रवक्ता ने अवगत कराया है कि राज्य में कोरोना मामलों में वृद्धि हुई है और कोरोना के नियंत्रण के लिए सख्ती आवश्यक है। सरकार ने कई कदम उठाए हैं और आगे भी कई सख्त कदम उठाए जाएंगे।"

आगे कहा कि,

"जान बचाने के साथ-साथ गरीबों की आजीविका का भी ख्याल रखना है। इसलिए इन शहरों में पूरी तरह से लॉकडाउन नहीं लगाया जाएगा। लोग कई स्थानों को स्वेच्छा से बंद रख रहे हैं।"

न्यायमूर्ति अजीत कुमार और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने आदेश में कहा कि,

"महामारी से इन बुरी तरह से प्रभावित जिलों की पूरी आबादी को बचाने के लिए सार्वजनिक हित में कुछ ठोस कदम उठाना आवश्यक है।"

कोर्ट ने लॉकडाउन लगाने का आदेश देते हुए कहा कि सार्वजनिक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए लॉकडाउन लगाना विशुद्ध रूप से संबंधित सरकार द्वारा नीतिगत निर्णय की प्रकृति में है। चूंकि यूपी सरकार द्वारा अभी तक कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई, इसलिए कोर्ट को यह कदम उठाना पड़ा।

कोर्ट ने COVID-19 महामारी के बीच में एक स्वत: संज्ञान (सू मोटो) मामले में आदेश पारित किया। पिछले हफ्ते पीठ ने एक विस्तृत आदेश पारित किया था, जिसमें उपाय के रूप में कुछ सुझाव दिए थे और सरकार से जवाब मांगा था।

पीठ ने राज्य सरकार की प्रतिक्रिया पर असंतोष जताया।

कोर्ट ने कहा कि,

"किसी भी सभ्य समाज में अगर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली चुनौतियों का सामना करने में सक्षम नहीं है और लोग उचित इलाज के अभाव में मर रहे हैं तो इसका मतलब है कि कोई समुचित विकास नहीं हुआ है। स्वास्थ्य और शिक्षा अलग-थलग हो गए हैं। वर्तमान अराजक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए सरकार को दोषी ठहराया जाना चाहिए। हम एक लोकतांत्रिक देश में है इसका अर्थ है कि देश में जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासित सरकार है।"

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