COVID-19 : अभी अनिवासी भारतीयों को ज़मानत देने का समय नहीं, कलकत्ता हाईकोर्ट ने बांग्लादेशी नागरिक की ज़मानत अर्ज़ी ख़ारिज की

Update: 2020-04-19 05:45 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट ने भारतीय जेल में 270 दिनों से रह रहे बांग्लादेश के एक व्यक्ति को ज़मानत देने से इंकार कर दिया। इस व्यक्ति को आईपीसी की धारा 411 और 414 के तहत जेल में बंद किया गया है।

आवेदक की ओर से कहा गया कि वह बांग्लादेशी है और पिछले 270 दिनों से जेल में बंद है और जिस वस्तु की चोरी का उस पर आरोप है वह बरामद हो चुकी है। ज़ब्त कि गई वस्तुओं की सूची ईमेल से भेज दी गई है। इन दोनों ही धाराओं में अधिकतम सज़ा 3 साल का कारावास या जुर्माना है।

आवेदक के वक़ील ने स्वपना अख़्तर बनाम पश्चिम बंगाल राज्य मामले में आए फ़ैसले का संदर्भ दिया। इसमें आरोपी के बांग्लादेशी नागरिक होने के बावजूद ज़मानत दे दी गई थी।

अदालत ने कहा,

"स्वप्ना अख़्तर का अनुपात वर्तमान मामले में आवेदक पर लागू नहीं होता।"

इस बारे में उच्च अधिकार प्राप्त समिति के इस रिपोर्ट का भी ध्यान दिलाया गया जिसने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि COVID-19 महामारी को देखते हुए आरोपी और विचाराधीन क़ैदियों को पैरोल पर या अंतरिम ज़मानत पर छोड़ा जाना चाहिए।

हाईकोर्ट ने इस पर कहा,

"…इस बारे में अतिरिक्त निर्देश यह है कि अगर आर्रोपी/विचाराधीन क़ैदी देश के बाहर का है तो उसे इस समय उसको छोड़ने के मुद्दे पर ग़ौर नहीं किया जा सकता है।"

इस तरह अदालत ने ज़मानत की अर्ज़ी ख़ारिज कर दी और कहा कि चूंकि आवेदक बांग्लादेशी है, उसे इस समय ज़मानत नहीं छोड़ा जा सकता। 




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