COVID19-''अपनी पूरी ताकत झोंक दो और अपने लोगों की सुरक्षा के लिए खुद को समर्पित करो'': उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा
भारत के संविधान के आर्टिकल 21 के तहत लोगों के जीवन की रक्षा करना राज्य का सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य है, यह रेखांकित करते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सोमवार (10 मई) को राज्य सरकार को COVID प्रबंधन के लिए कई विशेष और सामान्य दिशा-निर्देश जारी किए।
कोर्ट ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर से निपटने के लिए अच्छे से तैयारी न करने के मामले में राज्य सरकार की खिंचाई भी की।
मुख्य न्यायाधीश राघवेन्द्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने यह कहा कि,''इस तथ्य के बावजूद कि जनवरी 2021 में वैज्ञानिक समुदाय ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बारे में बार-बार चेतावनी दी थी, राज्य ने इस तरफ कोई भी ध्यान नहीं दिया ... हैरानी की बात यह है कि इस तथ्य के बावजूद कि राज्य पिछले डेढ़ साल से कोरोना महामारी से जूझ रहा है,फिर भी इस महामारी से निपटने लिए किसी ठोस योजना की कमी दिख रही है।''
न्यायालय ने यह भी उल्लेख किया कि कुछ गलतियों के कारण व कुछ लापरवाही के कारण कोरोना महामारी राज्य और पूरे राष्ट्र में बड़े स्तर पर फैल गई है।
महत्वपूर्ण रूप से कोर्ट ने कहा,
''हालांकि, सरकार महामारी से लड़ने के लिए अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही है, लेकिन लोगों के अभिभावक होने के नाते, संवैधानिक जनादेश और राजनीतिक परिश्रम तहत अपने लोगों के लिए उनके बहुत अधिक कर्तव्य हैं।''
इसलिए, अदालत ने कहा कि,
''राज्य सरकार को अपनी ताकत की हर एक बूंद और अपने वित्त के हर एक पैसे को निकालना होगा और अपने लोगों की सुरक्षा के लिए खुद को समर्पित करना होगा। जब तक राज्य द्वारा लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण की गारंटी नहीं दी जाएगी, कोई भी राज्य प्रगति नहीं कर सकता है। कहने की जरूरत नहीं है कि सुशासन के लिए योजनाओं पर विचार करना,उनके नियोजन और कार्यान्वयन की आवश्यकता है।''
न्यायालय ने यह भी कहा कि राज्य सरकार और लोगों को महामारी से निपटने के दौरान बहुत सावधानी से चलना होगा और लोगों को एसओपी का सावधानीपूर्वक पालन करना होगा।
कोर्ट ने निम्नलिखित निर्देश जारी किएः
-राज्य सरकार COVID19 टेस्ट प्रयोगशालाओं की संख्या में वृद्धि करे,विशेष रूप से हरिद्वार जिले में।
-यदि टेस्ट प्रयोगशालाओं की संख्या में वृद्धि नहीं की जा सकती है, तो राज्य सरकार को तत्काल पूरे राज्य में COVID19 मोबाइल टेस्ट वैन शुरू करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
-महामारी और इसके खतरों को समझने के लिए राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का जितनी जल्दी हो सके टेस्ट किया जाना चाहिए।
-राज्य को यह भी विचार करना चाहिए कि क्या 20 महाविद्यालयों और होटलों को अलगाव/क्वारंटीन केंद्र में बदलने का समय आ गया है?
-राज्य सरकार को अधिक अस्थायी अस्पतालों की स्थापना की योजना बनानी चाहिए, खासकर देहरादून, हरिद्वार और हल्द्वानी जैसे बड़े शहरों में। यहां तक रामनगर और अन्य मध्यम आकार के शहरों में भी डेडिकेटिड COVID स्वास्थ्य केंद्रों/देखभाल केंद्रों को युद्धस्तर पर स्थापित करने की आवश्यकता है।
-राज्य सरकार को केंद्र सरकार से बातचीत करनी चाहिए और झारखंड के जमशेदपुर व पश्चिम बंगाल से ऑक्सीजन टैंकों को मंगवाने की बजाय अपने कोटे के अनुसार, राज्य के भीतर ही उत्पादित ऑक्सीजन टैंकों को अपने पास रख लेने के लिए केंद्र सरकार की अनुमति लेनी चाहिए।
-राज्य सरकार को केंद्र सरकार के सहयोग से ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर के आयात की संभावना पर भी विचार करना चाहिए।
-राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जो लोग मिलावटी और नकली दवाओं का निर्माण कर रहे हैं, उन पर ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 की धारा 27 के तहत अपराध का आरोप लगाया जाए।
-राज्य के ड्रग कंट्रोलर को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जाता है कि ड्रग इंस्पेक्टर दवा की दुकानों का निरीक्षण करें, और उन लोगों के बारे में पता करने की कोशिश करें, जो ''रेमडेसिवीर इंजेक्शन'' जैसी महत्वपूर्ण दवाओं की जमाखोरी कर रहे हैं, और जो इस महत्वपूर्ण एंटी-वायरल इंजेक्शन की कालाबाजारी कर रहे हैं।
-सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चार धाम प्रबंधन द्वारा जारी एसओपी का सख्ती से पालन किया जाए। इसके अलावा, उक्त एसओपी को लागू करने के लिए आवश्यक कदम चार धाम के प्रबंधन के साथ मिलकर सरकार द्वारा तुरंत उठा लिए जाने चाहिए।
-राज्य सरकार को उन निजी अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया जाता है, जो कोरोना के मरीजों से इलाज के नाम पर ज्यादा पैसा वसूल रहे हैं।
ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें