COVID-19: दिल्ली हाईकोर्ट ने कन-गंभीर अपराध करने वाले कैदियों की अंतरिम रिहाई के लिए केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा

Update: 2021-04-28 11:10 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ ने COVID-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली की केंद्रीय जेल में बंद गैर-जघन्य अपराधों में शामिल कैदियों की अंतरिम रिहाई की मांग करने वाली शोभा गुप्ता दायर याचिका पर आम आदमी पार्टी की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार, पुलिस और जेल प्रशासन मांग की से जवाब मांगा है।

अदालत ने कानून और स्वास्थ्य मंत्रालय, दिल्ली सरकार, पुलिस, उपराज्यपाल के कार्यालय और जेलों के महानिदेशकों से 4 मई तक जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए लॉ स्टुडेंट और वकील अजय वर्मा ने अस्थायी रिहाई की आवश्यकता बताते हुए कहा कि सेंट्रल तिहाड़ जेल के 190 कैदियों और 304 जेल कर्मचारियों ने COVID-19 के लिए नए सिरे से पॉजीटिव टेस्ट आया।

दलील में कहा गया है कि मंडोली और रोहिणी की तीन तिहाड़ जेलों में कुल कैदियों की संख्या 7 अप्रैल को 17,285 है, जिनकी कुल क्षमता 10,026 है।"

याचिकाकर्ता- शोभा गुप्ता, राजेश सचदेवा और आयुषी नागर और लॉ स्टूडेंट संस्कृत गुप्ता ने तिहाड़ जेल में 7 साल तक की अधिकतम कारावास और जुर्माने (गैर जघन्य अपराध) के मंडोली जेल और रोहिणी जेल में अंतरिम जमानत/पैरोल पर सभी "अंडर ट्रायल और सजायाफ्ता कैदियों" की तत्काल रिहाई की मांग की है।"

उन्होंने उन कैदियों की भी अस्थायी रिहाई की मांग की है, जो पहले रिहा हो गए है और जिन्होंने अच्छे आचरण के आधार पर आत्मसमर्पण किया है और जो किसी बीमारी से पीड़ित हैं।

याचिका बताती है कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के प्रिज़न स्टैटिस्टिक्स के आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली की जेलें देश में सबसे अधिक भीड़ हैं, जिनमें 174.9% का कब्जा है।

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