COVID-19 : बॉम्बे हाईकोर्ट (गोवा बेंच) ने महामारी का मुकाबला करने के राज्य के उपायों पर संतोष व्यक्त किया
बॉम्बे हाईकोर्ट (गोवा बेंच) ने सोमवार को गोवा प्रशासन के COVID-19 महामारी का मुकाबला करने के उपायों पर संतोष व्यक्त किया।
न्यायमूर्ति एमएस सोनक ने एक आदेश पारित करते हुए याचिकाओं का निस्तारण किया कि सचिव (स्वास्थ्य) द्वारा दायर जवाब में याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दों के साथ-साथ महामारी से निपटने के लिए उठाए गए कदमों के संबंध में अन्य मुद्दों को भी संबोधित किया गया है।
न्यायमूर्ति सोनक ने कहा कि मानक संचालन प्रक्रिया / प्रोटोकॉल पहले ही विकसित किए जा चुके हैं और इन्हें अनुमोदन के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को भेज दिया गया है। उन्होंने यह भी देखा कि राज्य के जवाब यह भी कहा गया है कि डॉक्टरों और कर्मचारियों की सुरक्षा सर्वोपरि है और डॉक्टरों और कर्मचारियों को पूर्ण व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) प्रदान करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, जिसमें आवश्यक मास्क, हैंड सैनिटाइज़र आदि शामिल हैं।
सभी डॉक्टरों और कर्मचारियों को आईसीएमआर दिशा निर्देशों के अनुसार 17,000 से अधिक टैबलेट हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के साथ कीमो प्रोफिलैक्सिस प्रदान किया गया है ताकि उन्हें किसी भी गंभीर COVID-19 की जटिलताओं से बचाया जा सके।
वेंटिलेटर के पहलू पर न्यायमूर्ति सोनक ने देखा कि सचिव (स्वास्थ्य) द्वारा दायर प्रतिक्रिया में वर्तमान में उपलब्ध वेंटिलेटर की संख्या निर्धारित की गई है, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि लगभग 200 अतिरिक्त वेंटिलेटर खरीदने के आदेश दिए गए हैं। न्यायमूर्ति सोनक ने आगे कहा कि इस बात पर भी संदेह करने का कोई कारण नहीं है कि राज्य जल्द से जल्द इन अतिरिक्त वेंटिलेटरों की खरीद के सभी प्रयास नहीं करेगा।
आदेश के पैरा 15 में, न्यायमूर्ति सोनक ने कहा,
"इस प्रकृति के मामलों में, विशेष रूप से, महामारी के अनुपात को देखते हुए, किसी भी पूर्ण प्रमाण उपायों की अपेक्षा करना व्यर्थ है। हालांकि, इस न्यायालय के सामने रखी गई सामग्री से, यह स्पष्ट है कि राज्य और इसके अधिकारी इस महामारी से निपटने के प्रयास में अपनी जिम्मेदारियों के लिए सक्रिय हैं।"
दरअसल दो लॉ ग्रेजुएट द्वारा मुख्य न्यायाधीश बी.पी धर्माधिकारी को लिखे एक पत्र पर संज्ञान लेते हुए गोवा स्थित बॉम्बे हाईकोर्ट बेंच ने शुक्रवार को राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था। इस पत्र में कहा गया था कि घातक कोरोना वायरस से निपटने के लिए गोवा राज्य में चिकित्सा सुविधाएं पर्याप्त नहीं हैं।
न्यायमूर्ति एम.एस सोनक ने इस मामले को पीआईएल (रिट याचिका) में तब्दील करने का निर्देश दिया था और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया, जिस पर राज्य ने उक्त जवाब दाखिल किया।
यह था मामला
जय मैथ्यू और गौरववर्धन नंदकर्णी दोनों ने हाल ही में लॉ स्कूल से ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की है। उन्होंने चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर अनुरोध किया थ कि गोवा राज्य में हाल ही में सामने आई घटनाओं को देखते हुए COVID 19 प्रकोप से निपटने के लिए राज्य की चिकित्सा तैयारियों की कमी के संबंध में वह स्वत संज्ञान लें।
पत्र में यह भी कहा गया था कि ''न्यायालय हमेशा नागरिकों के मौलिक अधिकारों के संरक्षक और रक्षक के रूप में खड़े हुए हैं। इस महामारी से निपटने के लिए राज्य सरकार द्वारा तैयारी न करने के कारण हम सब डर रहे हैं। इसलिए आपकी लॉर्डशिप को उचित कार्रवाई करने की अपील कर रहे हैं या न्यायालय से उचित कार्रवाई करने का आग्रह कर रहे हैं।''
पत्र में कहा गया था कि राज्य सरकार कर्फ्यू लागू करने में प्रभावी रही है और उसके बाद पूर्ण रूप से तालाबंदी में भी। परंतु ''यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के मोर्चे पर तैयारी करने में पूरी तरह से विफल रही है।'' पत्र में कहा गया कि चिकित्सा तैयारियों की कमी राज्य में सबसे महत्वपूर्ण चिंता है- ''नेशनल लॉकडाउन यह कहते हुए लगाया गया था कि, 'असाधारण परिस्थितियाँ असाधारण उपायों की माँग करती हैं', लेकिन गोवा राज्य में इसका उल्लंघन देखा जा सकता है।
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