'अदालत रसायन विज्ञान या पर्यावरण की विशेषज्ञ नहीं': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कीटनाशक अधिनियम के तहत छूट चाहने वाले व्यक्ति के मामले को वैधानिक प्राधिकारी को सौंपा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि न्यायालय यह तय करने के लिए एक एक्सपर्ट बॉडी नहीं है कि एथेफॉन (एक कीटनाशक) कीटनाशक अधिनियम, 1968 की धारा 38 (1) (बी) के तहत याचिकाकर्ता द्वारा दावा की गई छूट के अंतर्गत आता है या नहीं।
हालांकि न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता यह साबित करने में अपने दायित्व का निर्वहन करने में विफल रहा कि छूट का दावा सही ढंग से किया गया था, इसने याचिकाकर्ता को वैधानिक प्राधिकारी के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया क्योंकि यह एक फैक्ट फाइंडिंग बॉडी है जिसे दावा की गई छूट के सही या गलत होने के मुद्दे पर निर्णय लेने का अधिकार है।
जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस राजेंद्र कुमार-चतुर्थ की पीठ ने कहा,
“याचिकाकर्ता के वकील द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे तर्क को स्वीकार करने से पहले एक तथ्यात्मक जांच की आवश्यकता होगी। याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए छूट के दावे के सामने यह विचार आवश्यक हो गया है। उस दावे को तथ्यान्वेषी प्राधिकारी यानी वैधानिक अधिकारियों के समक्ष उठाया जाना चाहिए और उसका परीक्षण किया जाना चाहिए।''
पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता एथिलीन राइपेनर/एथेफॉन के आयात, निर्माण और व्यापार के व्यवसाय में लगा हुआ है। याचिकाकर्ता चीन से बड़ी मात्रा में एथिलीन राइपेनर/एथेफॉन का आयात करता है और उसे छोटी पैकिंग में दोबारा पैक करता है। उस सामान की कुछ मात्रा आयात की गई थी, और सीमा शुल्क का भुगतान किया गया था। इस बीच, याचिकाकर्ता के परिसर में तलाशी अभियान चलाया गया। परिसर में मौजूद एथिलीन राइपेनर/एथेफॉन, एथिलीन राइपेनर (आम), और एथिलीन राइपेनर (केला) को सीमा शुल्क अधिनियम, 1969 की धारा 110 के तहत हिरासत में लिया गया था।
हालांकि याचिकाकर्ता ने हिरासत ज्ञापन का जवाब दायर किया, लेकिन इसने हिरासत ज्ञापन और तलाशी और जब्ती की कार्यवाही को चुनौती दी।
रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान, जब्ती आदेश पारित किया गया था जिसे एक संशोधन आवेदन के माध्यम से चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि इस स्तर पर, याचिकाकर्ता को अधिनियम की धारा 124 (माल आदि को जब्त करने से पहले कारण बताओ नोटिस जारी करना) के तहत एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है और जब्ती की कार्यवाही लंबित है।
फैसला
कोर्ट ने माना कि एथेफॉन कीटनाशक अधिनियम के तहत एक अनुसूचित वस्तु है और इसे आयात करने के लिए अधिनियम के तहत पंजीकरण अनिवार्य था। कीटनाशक अधिनियम की धारा 38(1)(बी) का अवलोकन करते हुए, कोर्ट ने कहा कि विधायी मंशा विशिष्ट रूप से घरेलू, किचन गार्डन और कृषि में उपयोग किए जाने वाले कीटनाशकों और ऐसे रसायन, जिनसे किसी भी सजीव वस्तु को नुकसर न पहुंचे, को छूट देना था।
आयकर आयुक्त, मद्रास बनाम आर वेंकटस्वामी नायडू में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए, न्यायालय ने कहा कि कर कानून में भी "छूट स्थापित करने का बोझ उस व्यक्ति पर होता है जो इसके अस्तित्व का दावा करता है।" इस प्रकार, किसी भी सबूत के अभाव में एथेफॉन के लिए छूट का दावा नहीं किया जा सकता है कि उसे अधिनियम के तहत छूट प्राप्त है। हालांकि, न्यायालय ने इस मुद्दे को अधिकारियों द्वारा तय करने के लिए छोड़ दिया क्योंकि यह एक फैक्स फाइंडिंग प्राधिकरण द्वारा तय किया जाना था।
कोर्ट ने माना कि धारा 11(3) हालांकि डाली गई है, लेकिन इसे अधिसूचना के माध्यम से लागू नहीं किया गया है। इसलिए यह लागू नहीं होगा। हालांकि, सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 111(डी) और 2(33) के साथ पठित धारा 110 और कीटनाशक अधिनियम की धारा 9 और 17 अधिकारियों को कीटनाशक अधिनियम के तहत पंजीकरण प्रमाणपत्र की कमी के कारण एथेफॉन को जब्त करने का अधिकार देती है।
इस प्रकार, याचिकाकर्ता को कारण बताओ नोटिस का जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए रिट याचिका का निपटारा कर दिया गया।
केस टाइटल: एम/एस गोल्ड राइप इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड बनाम राजस्व खुफिया निदेशालय और 4 अन्य 2023 लाइव लॉ (एबी) 355
साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (एबी) 355