मोहसिन शेख की हत्या के मामले में कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी किया, नमाज़ पढ़कर लौटते समय 21 लोगों ने किया था हमला
पुणे की एक सत्र अदालत ने 28 वर्षीय मुस्लिम युवक मोहसिन शेख की हत्या के सभी आरोपियों को बरी कर दिया, जिसमें कट्टरपंथी संगठन हिंदू राष्ट्र सेना (एचआरएस) प्रमुख धनंजय जयराम देसाई भी शामिल है। नौ साल पहले मोहसिन शेख की उस समय पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी, जब वह शाम के समय की नमाज़ पढ़कर लौट रहा था।
सत्र न्यायाधीश एसबी सालुंखे ने 21 आरोपियों को सभी आरोपों से बरी कर दिया। हडपसर पुलिस ने आरोपियों पर आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 143 (गैरकानूनी सभा), 147/148 (दंगे, हथियार से लैस), 120बी (साजिश), 153ए के तहत मामला दर्ज किया था।
मोहसिन शेख सोलापुर के रहने वाला था और पुणे में एक तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में काम कर रहे था। सोशल मीडिया पर शिवाजी महाराज और शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे की कथित रूप से आपत्तिजनक तस्वीरें प्रसारित होने के बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में कई झड़पें हुईं। देसाई पर इस दौरान कई भड़काऊ भाषण देने के आरोप लगे।
2 जून 2014 को, मोहसिन अपने दोस्त रियाज अहमद के साथ शाम की नमाज़ पढ़कर लौट रहा था, जब हिंदू राष्ट्र सेना के कथित सदस्यों ने उसे घेर लिया और पीटने लगे। गंभीर हालत में मोहसिन को अस्पताल ले जाया गया लेकिन उसी रात मोहसिन की मौत हो गई।
एफआईआर में कहा गया, "चूंकि मोहसिन की दाढ़ी थी, सिर पर टोपी थी और उसने हल्के हरे रंग की पठानी शर्ट पहनी हुई थी, उन्होंने हॉकी स्टिक से उस पर हमला किया और उसके सिर पर सीमेंट का ब्लॉक दे मारा।"
बॉम्बे हाईकोर्ट की जज जस्टिस मृदुला भाटकर ने मामले के कुछ आरोपियों को जमानत देते हुए कहा कि उन्हें धर्म के नाम पर उकसाया गया था। “मृतक का दोष केवल इतना था कि वह दूसरे धर्म का था। ”
हालांकि, जस्टिस भाटकर ने अपराध स्थल पर तमाशबीन बने रहने के लिए पुलिस की खिंचाई की थी।
इसके बाद देसाई को भी हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी । जमानत की एक शर्त में भड़काऊ भाषण न देना भी शामिल था।
लोक अभियोजक इस्तीफा
प्रारंभ में एडवोकेट उज्ज्वल निकम परिवार द्वारा किए गए अनुरोध के आधार पर मामले में अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। बाद में, राष्ट्रप्रेमी कृति समिति के कार्यकर्ता अंजुम इनामदार ने तत्कालीन मुख्यमंत्री और कानून और न्यायपालिका विभाग को नियुक्ति का विरोध करते हुए लिखा, यह दावा करते हुए कि वकील दक्षिणपंथी चरमपंथी समूहों के करीबी हैं।
राज्यसभा में तत्कालीन कांग्रेस सांसद हुसैन दलवई ने भी निकम की नियुक्ति का विरोध किया था। इसके बाद निकम ने कथित तौर पर मामले से खुद को अलग कर लिया। मोहसिन के पिता ने निकम को पत्र लिखकर अपने फैसले पर फिर से विचार करने के लिए कहा था लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
इसके बाद 16 जून को मोहसिन के पिता मोहम्मद सादिक ने तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से भी वकील सलियन की नियुक्ति की मांग की। हालांकि, राज्य ने एडवोकेट उज्ज्वला पवार को एसपीपी नियुक्त किया।
दिसंबर 2018 में दिल का दौरा पड़ने के कारण मोहसिन शेख के पिता का निधन हो गया।