"देश दिवालिया हो जाएगा": दिल्ली हाईकोर्ट ने COVID-19 मौतों के लिए 1 करोड़ रुपए का मुआवजा का आदेश देने से इनकार किया

Update: 2022-04-07 05:50 GMT

दिल्ली होईकोर्ट (Delhi High Court) ने मंगलवार को COVID-19 या ठीक होने के एक महीने के भीतर COVID-19 के कारण मरने वालों के परिवार वालों को अनुग्रह मुआवजे के रूप में 1 करोड़ रुपये के भुगतान के आदेश पारित करने से इनकार किया।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की खंडपीठ ने शुरुआत में टिप्पणी की,

"पूरा देश दिवालिया हो जाएगा।"

आगे कहा कि पीड़ितों के परिवारों को मुआवजे के भुगतान के संबंध में पहले से ही एक नीति है और इसे उच्चतम न्यायालय ने डब्ल्यू.पी. (सी) संख्या 539/2021 अनुमति दी है।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा तैयार दिशा-निर्देशों के अनुसार, COVID-19 मौतों के लिए अनुग्रह मुआवजा 50,000 रुपये तय किया गया है, जिसका भुगतान राज्यों द्वारा राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष से किया जाएगा।

बेंच ने आदेश में कहा,

"हमारे विचार में, यह इस न्यायालय के लिए नहीं है कि वह उन सभी परिवारों को 1 करोड़ रुपये के अनुग्रह मुआवजे के भुगतान का निर्देश दे, जिनके सदस्य COVID -19 के कारण मर गए। जीएनसीटीडी ने पहले ही मृतक के परिजनों को मुआवजे के भुगतान के लिए एक समान नीति तैयार की है, जिनकी मृत्यु COVID-19 महामारी के कारण मृत्यु हुई।"

जून 2021 में डॉ विद्योत्तमा झा द्वारा दायर एक रिट याचिका में यह टिप्पणी की गई, जिसमें महामारी COVID-19 के पीड़ितों को मुआवजा देने की नीति की मांग की गई थी।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि अधिकारी बिना किसी दिशा-निर्देश के केवल पिक एंड चॉइस के आधार पर चयनित व्यक्तियों के परिवारों को मुआवजा दे रहे हैं।

यह प्रार्थना की गई कि प्रतिवादियों को बिना किसी भेदभाव के सभी परिवारों को अनुग्रह राशि या मुआवजा प्रदान करने के लिए उचित नीति और दिशानिर्देश तैयार करने के निर्देश जारी किए जाएं।

अदालत ने कहा कि एक नीति पहले ही तैयार की जा चुकी है, इसलिए याचिका निष्फल हो गई है। इसी के तहत उसका निस्तारण किया गया।

केस का शीर्षक: डॉ विद्योत्तमा झा बनाम जीएनसीटीडी

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