ओडिशा में रेस्तरां द्वारा पानी की बोतल पर एमआरपी से अधिक वसूले जाने पर कंज्यूमर कमीशन ने लॉ स्टूडेंट को 3000 रुपये का मुआवजा दिया

Update: 2022-12-30 10:31 GMT

जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, खुर्दा, भुवनेश्वर ने उस लॉ स्टूडेंट को 3000 रुपये का अवॉर्ड देने का निर्देश दिया, जिससे रेस्तरां ने 20 रुपये कीमत की मिनरल वाटर बोतल के लिए अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) से अधिक मूल्य 40 रुपये वसूल किये थे।

शिकायत को स्वीकार करते हुए कमीशन ने कहा कि सुविधाएं और सेवाएं प्रदान करने के नाम पर प्रिट एमआरपी से अधिक कीमत लेना उचित नहीं है और यह अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस है।

कमीशन ने कहा,

“यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) वह उच्च मूल्य है जिस पर प्रोडक्ट बेचा जा सकता है। लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) रूल्स, 2011 के मुताबिक, कोई भी रिटेल डीलर या मैन्युफैक्चरर, इंपोर्टर और होलसेल डीलर समेत कोई भी व्यक्ति किसी भी कमोडिटी को पैक्ड फॉर्म में उसके रिटेल सेल प्राइस से ज्यादा कीमत पर नहीं बेचेगा। यह पूर्वोक्त नियम सभी खुदरा डीलरों और अन्य व्यक्तियों को शामिल करता है और होटल व्यवसायियों या रेस्तरां को बाहर नहीं करता है।"

तथ्यात्मक पृष्ठभूमि

21.01.2022 को यूनिवर्सिटी लॉ कॉलेज, उत्कल यूनिवर्सिटी, भुवनेश्वर में कानून की छात्रा रिशा मोहंती अपने परिवार के साथ दोपहर के भोजन के लिए वरेन्या के फोर पेटल्स रेस्तरां में गई। जब उन्होंने सामान्य पानी मांगा तो उन्हें बोतलबंद मिनरल वाटर दिया गया। पानी की बोतल पर एमआरपी 20 रुपये के रूप में मुद्रित किया गया। उन्होंने दो बोतल का ऑर्डर दिया। हालांकि उनसे अंतिम बिलिंग पर 40 रुपये प्रति बोतल वसूले गए, जो बोतलों पर छपी कीमत से दोगुनी है।

जब शिकायतकर्ता ने इसका विरोध किया तो होटल के कर्मचारियों ने कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया। इससे व्यथित होकर उसने रेस्तरां के खिलाफ शिकायत दर्ज की और मुआवजे के साथ मानसिक पीड़ा और मुकदमेबाजी लागत के लिए अतिरिक्त 20,000 राशि की वापसी का दावा किया।

विवाद

रेस्टोरेंट ने दलील दी कि ऑर्डर देने से पहले शिकायतकर्ता को मेन्यू कार्ड दिया गया। इसमें कहा गया कि मेन्यू में पानी की बोतल सहित हर सामान की कीमत स्पष्ट रूप से अंकित थी।

आगे यह तर्क दिया गया कि रेस्तरां कई अन्य सेवाएं प्रदान करता है, जिसका ग्राहक भुगतान किए बिना आनंद लेता है। रेस्टोरेंट ने कहा कि एमआरपी से अधिक कीमत वसूलने के लिए उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

अपने तर्क को सही ठहराने के लिए इसने फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया बनाम भारत संघ व अन्य के मामले पर भरोसा किया, जिसमें यह पाया गया कि "पैकेजिंग पर मुद्रित एमआरपी से अधिक मिनरल वाटर के लिए मूल्य वसूलना, होटल और रेस्तरां में ग्राहकों की सेवा एसडब्ल्यूएम [बाट और माप के मानक] अधिनियम के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करती, क्योंकि यह होटल व्यवसायी या रेस्तरां मालिक द्वारा अपने ग्राहकों को उन वस्तुओं की बिक्री या हस्तांतरण का गठन नहीं करता।

निष्कर्ष और आदेश

कमीशन ने कहा कि रेस्तरां एमआरपी से अधिक शुल्क नहीं ले सकते, क्योंकि यह कानून के स्थापित प्रावधानों का घोर उल्लंघन होगा।

फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के फैसले पर गौर करने के बाद कमीशन ने पाया,

"यह कानून की स्थापित स्थिति है कि कानून की अदालत कानूनी कानून को ओवरराइड नहीं कर सकती। साथ ही माननीय एनसीडीआरसी और एससीडीआरसी के निर्णय भी हैं, जिसमें यह कहा गया कि कानून के अलावा दो एमआरपी नहीं हो सकते। सेवा प्रदाता एमआरपी से अधिक राशि नहीं वसूल सकता है।

तदनुसार, रेस्तरां को भुगतान करने का निर्देश दिया गया।

शिकायतकर्ता को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के एवज में दो हजार रुपये के साथ मुकदमेबाजी की लागत के लिए 1000 रुपये का भुगतान करने के लिए कहा गया।

केस टाइटल: रिशा मोहंती बनाम प्रोपराइटर, फोर पेटल्स बाय वरेन्या

केस नंबर: सी.सी. केस नंबर 25/2022 [खुर्दा डीसीडीआरसी]

आदेश दिनांक: 23 दिसंबर, 2022

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