'COVID-19 संकट में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने के लिए स्टील प्लांट्स की सेवाओं पर विचार करें': बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में COVID-19 संकट से निपटने के लिए प्रभागीय आयुक्त (नागपुर) को निर्देश दिया कि वे क्षेत्र में लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने के लिए स्टील प्लांट्स और उद्योगों की सेवाओं पर विचार करें।
पीठ ने कहा कि इस तरह के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत शक्तियों का इस्तेमाल किया जा सकता है। कोर्ट ने भंडारा, ठाणे, पुणे और डोलवी में स्थित स्टील प्लांट्स का जिक्र किया।
आवेदक आदित्य गोयल (जिन्होंने कहा कि उनके पास स्टील प्लांट्स में काम करने का अनुभव है) ने कोर्ट को बताया कि इन स्टील प्लांट्स में कोविड रोगियों के लिए पर्याप्त मात्रा में लिक्विड ऑक्सीजन का उत्पादन करने की क्षमता है और अगर इन उद्योगों के प्लांट्स को ऑक्सीजन की पूर्ति करने के लिए कहा जाता है तो महाराष्ट्र के संबंध में कोविड रोगियों को ऑक्सीजन की कमी की पूरी समस्या कुछ ही समय में हल हो जाएगी।
कोर्ट ने आदेश दिया कि,
"कार्यालय गोयल के आवेदन की कॉपी नागपुर के डिविजनल कमिश्नर को देगा और उसी की प्राप्ति पर हम अनुरोध करेंगे कि यह उचित रूप से जांच करके माना जाए कि आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 37 के तहत लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने के लिए इन उद्योग की सेवाओं की आवश्यकता है। वास्तव में हमें इस कंपनी के निदेशकों पर पूरा भरोसा है कि नागपुर के डिविजनल कमिश्नर के विनम्र अनुरोध पर कंपनी के निदेशक ऑक्सीजन संयंत्रों द्वारा कोविड से निपटने के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए आसानी से सहमत होंगे। नागपुर के डिविजनल कमिश्नर अपनी तरफ से कंपनी के ऑक्सीजन प्लांट्स को अनिवार्य रूप से ऑक्सीजन आपूर्ति करने की स्थिति पैदा नहीं होने देंगे।"
जस्टिस सुनील शुकरे और जस्टिस एसएम मोदक की खंडपीठ ने कोविड प्रबंधन पर एक स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अधिवक्ता आदित्य गोयल के एक आवेदन पर आदेश पारित किया। अधिवक्ता गोयल ने आवेदन में कहा है कि प्लांट 120 मीट्रिक टन लिक्विड ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकता है और इससे क्षेत्र में 100 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की कमी को आसानी से पूरा किया जा सकता है।
अदालत ने जिला कलेक्टर को स्टील प्लांट, रेलवे और फैब्रिकेटर से सभी खाली ऑक्सीजन सिलेंडरों को मंगवाने का निर्देश दिया। इसके बाद एडवोकेट तुषार मांडलेकर और एमिकस क्यूरी एसपी भंडारकर ने कहा कि ऑक्सीजन की रिफिलिंग के लिए पर्याप्त मात्रा में खाली सिलेंडरों की अनुपलब्धता के कारण समस्या उत्पन्न हुई है।
पीठ ने कहा कि,
"हमारी राय है कि इन सिलेंडरों का उपयोग प्राधिकारियों द्वारा आपदा प्रबंधन और महामारी अधिनियम के तहत शक्तियों का उपयोग करके किया जाना चाहिए और अगर यह होता है तो यह आदेशानुसार विदर्भ और नागपुर क्षेत्र के कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।"
न्यायमूर्ति शुकरे ने राज्य की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एमजी भांडगे की याचिका को स्वीकार नहीं किया कि पीठ इस तरह के आदेश पारित नहीं कर सकती क्योंकि बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने पहले ही राज्य को सार्वजनिक और निजी तौर पर पूरे राज्य के अस्पताल में ऑक्सीजन की सुचारू रूप से आपूर्ति के लिए एक तंत्र तैयार करने का निर्देश दिया है।
बेंच ने कहा कि,
"तो क्या मरीजों को तब तक मरने के लिए छोड़ दिया जाए जब तक राज्य सरकार तंत्र का निर्माण नहीं करती है? न केवल न्यायालय बल्कि डिविजनल कमिश्नर को भी संरक्षण के लिए कोई उपाय नहीं करना चाहिए? हम सिर्फ सुझाव पर विचार करने के लिए कह रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आप इस अदालत की सहायता करेंगे। यह एक बहुत ही सकारात्मक दिशा है जिसे बहुत नकारात्मक तरीके से लिया जा रहा है।"
कोर्ट से तब वकील ने माफी मांगी। न्यायमूर्ति शुक्रे ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश के निर्देशों से ही आगे का आदेश पारित करने में मदद मिली है।
हमने इस मामले में ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया है जो प्रधान पीठ के पहले से दिए गए निर्देश के साथ असंगत होगा। वास्तव में मुंबई के प्रधान पीठ द्वारा दिए गए निर्देश हमारे विचार में स्थानीय अधिकारियों को आगे के निर्देश जारी करने में हमारी मदद करती है ताकि स्थानीय स्तर पर ऑक्सीजन की आपूर्ति को विदर्भ में कोविड रोगियों के लिए प्रभावी और लाभदायक बनाया जा सके।
एक स्टील कंपनी के पूर्व एमडी अधिवक्ता गोयल ने कहा कि महाराष्ट्र के चार स्टील प्लांट भंडारा, पुणे, ठाणे और अलीबाग पूरे राज्य की ऑक्सीजन जरूरतों के लिए पर्याप्त हो सकते हैं।
ऑक्सीजन वितरण
कोर्ट को सुनवाई के दौरान कलेक्टर को सूचित किया कि नागपुर को पर्याप्त ऑक्सीजन दी गई है। 21, 22 और 23 अप्रैल 2021 को क्रमशः 85 मीट्रिक टन, 30 मीट्रिक टन और 50 मीट्रिक टन लिक्विड ऑक्सीजन वाले टैंकर नागपुर में भेजे गए। उन्होंने कहा कि 20,000 ऑक्सीजन सिलेंडर भी थे जो 9,000 ऑसीजन सिलेंडर अस्पतालों में भेजे गए और 9,000 सिलेंडर भरे जाने थे।
पीठ ने कहा कि इसके बावजूद विभिन्न कोविड केयर सेंटर / अस्पतालों में ऑक्सीजन की अनुपलब्धता / आपूर्ति नहीं होने के बारे में शिकायतें प्राप्त हुईं और इसलिए अधिवक्ताओं की प्रस्तुतियां में यह बात कही गई कि खाली सिलेंडरों की कमी है।
कोर्ट ने कहा कि, अगर ऑक्सीजन की आपूर्ति क्रम में होती तो ऑक्सीजन की अनुपलब्धता या आपूर्ति न होने की कोई शिकायत इस अदालत और अधिकारियों के पास नहीं आती।
डॉ. अनूप मरार और अन्य हस्तक्षेपकर्ताओं ने बताया कि विभिन्न औद्योगिक इकाइयों, निर्माण इकाइयों और वेल्डर की दुकानों के साथ लगभग 4,300 ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हैं और रेलवे के पास 30 ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हैं।
पीठ ने तब नागपुर के कलेक्टर को इस संबंध में तत्काल कदम उठाने का आदेश दिया और कहा कि इन ऑक्सीजन सिलेंडर की उपलब्धता के आधार पर सिलेंडरों की आपूर्ति की जाए। कोर्ट ने आगे कहा कि सिलेंडरों की आवश्यकता के लिए कलेक्टर द्वारा एक टीम का गठन किया जा सकता है और इसके लिए नागपुर के पुलिस स्टेशनों / आरआरएफ की सहायता ली जाए और इसके लिए किराया दिया जाए।
ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए समीक्षा बैठक आयोजित करें।
पीठ ने कहा कि कोविड अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए नागपुर के कलेक्टर को नियंत्रण अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक आयोजित करनी चाहिए।
कोर्ट को जिला कलेक्टर ने सूचित किया कि इसकी स्थापना के लिए इसकी लागत से संबधित प्रस्ताव नागपुर के वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड को भेजा गया है। जी.एम.सी., आई.जी.एम.सी., ए.आई.आई.एम.एस. अस्पताल में गैस को अलग करने की तकनीकी वाले ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया है। केलक्टर ने कहा कि छह से आठ सप्ताह के भीतर आवश्यक अनुमोदन प्राप्त होते ही जिला प्रशासन काम शुरू कर देगा।