इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अदालत को केस फाइल भेजने में विफल रहने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को हाईकोर्ट के सहायक रजिस्ट्रार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई का निर्देश दिया। वह एक विशेष मामले को नई सूची में सूचीबद्ध करने में विफल रहे थे और विभिन्न प्रशासनिक निर्देशों का हवाला देते हुए मामले की फाइल को अदालत में भेज दिया था। एचसी द्वारा कर्तव्य पालन में विफलता के मुद्दे पर पूछताछ किए जाने पर भी वह अवज्ञाकारी बने रहे।
जस्टिस अजय भनोट की खंडपीठ ने जब उन्हें व्यक्तिगत रूप से बुलाया और उनकी ओर से हुई चूक के बारे में पूछा तो उन्होंने अपना रुख दोहराया कि प्रशासनिक निर्देशों के कारण आदेश का पालन नहीं किया जा सकता।
इस पृष्ठभूमि में यह देखते हुए कि वह अवज्ञाकारी रहा, बेंच ने उनके आचरण को न्याय के प्रशासन में हस्तक्षेप करने वाला मानते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया।
मामला
अदालत दलशाद @ दिल्लू की जमानत याचिका पर विचार कर रही थी, जिसके खिलाफ धारा 147, 148, 149, 302, 506 आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया गया था। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सुनवाई में रजिस्ट्री अधिकारी (संदीप कुमार, सहायक रजिस्ट्रार, नए फाइलिंग सेक्शन में प्रतिनियुक्त) की ओर से पैदा की गई बाधा को नोट किया।
19 जनवरी, 2022 (बुधवार) को न्यायालय ने एक विशिष्ट आदेश पारित किया था, जिसमें निर्देश दिया गया था कि नियमित ज़मानत याचिका को 20 जनवरी, 2022 (गुरुवार) को नए मामलों की सूची में रखा जाए, हालांकि न तो पूर्वोक्त मामलों को दर्शाती ताजा सूची तैयार की गई, और न ही फाइल अदालत को भेजी गई थी।
न्यायालय के खंडपीठ सचिव ने उक्त अधिकारी से उक्त मामले को दर्शाने वाले नए मामलों की सूची तैयार करने में उनकी विफलता और अदालत को फाइल नहीं भेजने के बारे में पूछताछ की और उक्त अधिकारी ने जवाब दिया कि विभिन्न प्रशासनिक निर्देशों के के कारण आदेश अनुपालन के लिए उत्तरदायी नहीं था और फाइल भेजने या सूची तैयार करने से इनकार कर दिया।
जिसके बाद जब यह मामला न्यायालय के संज्ञान में लाया गया तो न्यायालय ने निर्देश दिया कि अधिकारी को तलब किया जाए। न्यायालय के समक्ष उक्त अधिकारी ने यह कहते हुए अपना पक्ष दोहराया कि प्रशासनिक निर्देशों के कारण आदेश का पालन नहीं किया जा सकता।
चूंकि वह अवज्ञाकारी रहा और अपना रुख दोहराया, न्यायालय ने इस न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को तलब किया, जिसने न्यायालय के आदेशों का शीघ्र अनुपालन सुनिश्चित किया।
उक्त अधिकारी के आचरण को स्पष्ट रूप से अपमानजनक बताते हुए, कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह हाईकोर्ट पर होगा कि वह इस बात पर विचार करे कि क्या इस न्यायालय की रजिस्ट्री में जिम्मेदार पदों पर नियुक्तियों और पदोन्नति के लिए गुणात्मक आवश्यकताओं और पात्रता मानदंड में ढील देना न्याय के अच्छे प्रशासन के लिए अनुकून है या नहीं।
केस शीर्षक - दिलशाद @ दिल्लू बनाम स्टेट ऑफ यूपी
केस सिटेशन: 2022 लाइव लॉ (एबी) 24