'शिक्षा और विरोध का अधिकार साथ नहीं चल सकते': पंजाब यूनिवर्सिटी के फैसले पर हाईकोर्ट ने स्टूडेंट से हलफनामा मांगा
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा, जिसमें यूनिवर्सिटी के उस फैसले को चुनौती दी गई, जिसके तहत नए दाखिलों के लिए स्टूडेंट्स से हलफनामा लिया जा रहा है कि वे किसी भी विरोध प्रदर्शन से पहले यूनिवर्सिटी से अनुमति लेंगे अन्यथा उनका दाखिला रद्द किया जा सकता है।
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी की,
"शिक्षा का अधिकार और विरोध का अधिकार एक साथ नहीं चल सकते। जब दोनों में टकराव हो तो स्टूडेंट्स को तय करना होगा कि वे पढ़ाई चुनेंगे या प्रदर्शन।"
याचिकाकर्ता स्टूडेंट के वकील अक्षय भान ने दलील दी कि अगर कोई कक्षा बाधित करता है तो कार्रवाई की जा सकती है लेकिन यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स से उनके मौलिक अधिकारों को छोड़ने की शर्त नहीं रख सकती।
कोर्ट ने स्टूडेंट्स को निर्देश दिया कि वे दाखिले के साथ हलफनामा जमा करें, लेकिन यह हलफनामा याचिका के अंतिम फैसले पर निर्भर रहेगा।
अब यह मामला 4 सितंबर को सुना जाएगा।
टाइटल: अर्चित गर्ग बनाम पंजाब यूनिवर्सिटी