मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर ने उड़ीसा हाईकोर्ट और जिला न्यायालयों में ई-सेवाओं की शुरूआत की

Update: 2021-04-06 06:26 GMT

उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर ने सोमवार को वादकारियों और वकीलों के लाभ के लिए और राज्य की सभी अदालतों को तकनीकी रूप से अधिक उन्नत और सुलभ बनाने के लिए ई-सेवाओं की शुरूआत की।

न्यायमूर्ति मुरलीधर ने कार्यक्रम के दौरान हाईकोर्ट परिसर में कोर्ट फीस का ऑनलाइन भुगतान करने के लिए सुविधा केंद्र शुरू किया। उन्होंने उच्च न्यायालय और जिला न्यायालयों में (i) न्यायालय शुल्क के ऑनलाइन भुगतान के लिए सिस्टम भी लॉन्च किए (ii) राज्य भर में 244 न्यायालय प्रतिष्ठानों में ई-फाइलिंग पोर्टल, (iii) प्रत्येक जिला न्यायालय परिसर में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग केबिन और (iv) ) 78 तालुका न्यायालय परिसरों में ई-सेवा केंद्र शुरू किया।

न्यायमूर्ति मुरलीधर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समारोह में शामिल 150 से अधिक जिला न्यायाधीशों, न्यायिक अधिकारियों और ओडिशा राज्य के अधीनस्थ न्यायालयों में काम करने वाले वकीलों को संबोधित किया। न्यायमूर्ति मुरलीधर ने संबोधन में ई-सेवा को लॉन्च करने के पीछे के उद्देश्यों पर जोर दिया और उन्होंने राज्य न्यायपालिका को नई-नई तकनीक को अपनाने और राज्य की न्यायिक प्रणाली की दक्षता को बढ़ाने का प्रयास करने के लिए कहा।

इस कार्यक्रम का आयोजन उच्च न्यायालय की कंप्यूटर समिति और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, ओडिशा के महाधिवक्ता, उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और रजिस्ट्री के अधिकारियों की उपस्थिति में आयोजित किया गया था।

न्यायमूर्ति मुरलीधर ने अपने संबोधन में कहा कि कोर्ट फीस का ऑनलाइन भुगतान की सुविधा उड़ीसा हाईकोर्ट और जिला न्यायालयों में उपलब्ध होगी और यह सुविधा आने वाले महीनों में तालुका न्यायालयों में भी उपलब्ध कराई जाएगी।

न्यायमूर्ति मुरलीधर ने ओडिशा राज्य के सभी जिलों के 244 न्यायालय में सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति द्वारा बनाई गई ई-फाइलिंग पोर्टल को लॉन्च करते हुए वकीलों को ई-फाइलिंग का सर्वोत्तम उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके साथ ही कहा कि COVID-19 महामारी के बीच ई-भुगतान प्रणाली की उपलब्धता एक अच्छी पहली है। सोशल डिस्टोंसिंग के साथ आसानी से भुगतान किया जा सकता है। कुल मिलाकर यह ई-भुगतान प्रणाली बहुत अधिक उपयोगी साबित होगी।

न्यायमूर्ति मुरलीधर ने आगे कहा कि हार्ड कॉपी दाखिल करने की प्रणाली तब तक जारी रहेगी, जब तक कि जिला न्यायपालिका के सभी हितधारक ई-फाइलिंग के कागज रहित और डिजिटल तरीकों से पर्याप्त रूप से परिचित नहीं हो जाते हैं।

न्यायमूर्ति मुरलीधर ने यह भी कहा कि ई-फाइलिंग और ई-भुगतान सेवाओं के लिए दिशानिर्देश और उपयोगकर्ता नियमावली कोर्ट की वेबसाइटों में उपलब्ध कराई जाएगी ताकि किसी भी उपयोगकर्ता को इन ई-सेवाओं का लाभ उठाने में किसी भी कठिनाई का सामना न करना पड़े।

न्यायमूर्ति मुरलीधर ने इसके बाद राज्य के 78 कोर्ट परिसरों में ई-सेवा केंद्रों को खोलने के लिए आवश्यक ई-कोर्ट सेवाओं तक पहुंचने में जरूरतमंद वकीलों और वादियों के लिए एक स्टॉप विंडो के रूप में काम किया और बताया कि ये ई-सेवा केंद्र उन वकीलों और वादियों को सहायता प्रदान करेगा जो अपने रोज के काम में प्रौद्योगिकी के उपकरणों का उपयोग करने में कठिनाई का सामना करते हैं।

न्यायमूर्ति मुरलीधर ने याद दिलाते हुए कहा कि COVID19 के समय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का उपयोग करने की क्षमता वकीलों के कामकाज के लिए कैसे आवश्यक हो गई है। इसके साथ ही उन्होंने राज्य के तीस जिला न्यायालय परिसरों में से प्रत्येक में एक वीसी केबिन का उद्घाटन किया जो यह सुनिश्चित करने के लिए हैं कि अधिवक्ता और वादकारी प्रैक्टिस कर रहे हैं और इस तरह से अब न्यायालयों के पास वर्चुअल मोड में सुनवाई करने का विकल्प होगा।

न्यायमूर्ति मुरलीधर ने उड़ीसा हाईकोर्ट में मामले के रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण के लिए हाल ही में शुरू किए गए अभियान के बारे में उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय में लगभग 1 लाख 75 हजार मामले पहले ही डिजीटल किए जा चुके हैं और जल्द ही चार बड़े जिलों में इसी तरह का अभियान शुरू किया जाएगा।

हाईकोर्ट कंप्यूटर समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एस. पुजारी ने अपने संबोधन में न्यायालय की प्रक्रियाओं को अधिक सुगम और कुशल बनाने के लिए न्यायिक प्रणाली के मुख्य कार्यों में प्रौद्योगिकी को अपनाने की बात कही। उन्होंने सभी को याद दिलाया कि कैसे COVID-19 महामारी के दौरान प्रौद्योगिकी के माध्यम से न्याय प्रणाली ने अपना काम किया।

[नोट: उड़ीसा हाईकोर्ट ने वर्तमान में देश के विभिन्न हिस्सों में बढ़ते COVID-19 मामलों के मद्देनजर फिर से वर्चुअल मोड में सुनवाई करने का फैसला लिया है।]

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