केंद्र ने जस्टिस दीपांकर दत्ता को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की

Update: 2022-12-11 10:40 GMT

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिश के लगभग तीन महीने बाद केंद्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपांकर दत्ता को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की।

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने ट्वीट किया,

 "भारत के संविधान के तहत प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए जस्टिस दीपांकर दत्ता को भारत के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया है। मैं उन्हें अपनी शुभकामनाएं देता हूं।"

तत्कालीन सीजेआई यूयू ललित के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने 26 सितंबर को पारित प्रस्ताव में जस्टिस दत्ता की पदोन्नति की सिफारिश की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 10 नवंबर को कॉलेजियम की सिफारिशों पर न्यायिक नियुक्तियों में देरी को लेकर दायर एक अवमानना याचिका में सचिव (न्याय) को नोटिस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट सीनियर एडवोकेट विकास सिंह द्वारा की गई दलील को रिकॉर्ड किया था। उन्होंने कहा था कि "यहां तक कि  सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए पांच सप्ताह से अधिक समय पहले की गई सिफारिश अभी भी नियुक्ति का इंतजार कर रही है।"

जस्टिस एसके कौल के नेतृत्व वाली पीठ ने तब टिप्पणी की थी,

 "हम वास्तव में इस तरह की देरी को समझने या सराहना करने में असमर्थ हैं।"

जस्टिस दत्ता की नियुक्ति के साथ सुप्रीम कोर्ट में कुल न्यायाधीशों की संख्या बढ़कर 28 हो गई।  जस्टिस दत्ता का कार्यकाल 8 फरवरी, 2030 तक होगा।

 फरवरी 1965 में जन्मे जस्टिस दत्ता कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश स्वर्गीय (जस्टिस) सलिल कुमार दत्ता के पुत्र और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस अमिताव रॉय के नज़दीकी रिश्तेदार हैं।

उन्होंने 1989 में कलकत्ता यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री ली और 16 नवंबर, 1989 को एक वकील के रूप में इनरोल हुए। उन्होंने 16 मई, 2002 से 16 जनवरी, 2004 तक पश्चिम बंगाल राज्य के लिए एक जूनियर सरकारी वकील के रूप में काम किया।  वे  1998 में यूनियन ऑफ इंडिया के वकील रहे।

उन्होंने 22 जून, 2006 से कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में कार्य किया। उन्हें 28 अप्रैल, 2020 को बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।

बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्णय पारित किए हैं, जिसमें अपाहिजों के लिए घर पर टीकाकरण, अनिल देशमुख - उस समय महाराष्ट्र के गृह मंत्री के खिलाफ प्रारंभिक जांच का निर्देश देना और अवैध निर्माणों पर आधिकारिक घोषणा के मामले शामिल हैं।

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