सांसदों, विधायकों के खिलाफ मामले: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 30 अप्रैल तक मामलों का विवरण मांगा
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने मंगलवार (20 अप्रैल) को केंद्र, पंजाब राज्य और पंजाब पुलिस को 10 दिन की समय सीमा दी और कहा कि वे पंजाब के मौजूदा और पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों को लेकर अपने हलफनामों को दायर करें।
न्यायमूर्ति राजन गुप्ता और न्यायमूर्ति करमजीत सिंह की खंडपीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर-जनरल ऑफ इंडिया द्वारा पेश किए गए जवाब को ध्यान में रखते हुए यह आदेश दिया।
दरअसल अतिरिक्त सॉलिसिटर-जनरल ऑफ इंडिया ने कहा था कि अदालत के पिछले आदेश (25 फरवरी) का जवाब देने के लिए उन्हे एक सप्ताह का और समय चाहिए।
इस प्रकार, न्यायालय ने निर्देश दिया,
"वे सुनवाई की अगली तारीख को या उससे पहले एक हलफनामा दायर करने के लिए स्वतंत्र होंगे"।
इसके अलावा, खंडपीठ ने पंजाब के अतिरिक्त महाधिवक्ता और राज्य के पुलिस महानिरीक्षक, अपराध, अरुण पाल सिंह को भी मामले में एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और मामला 30 अप्रैल को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया।
यह देखा जा सकता है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुपालन में दिनांक 16.09.2020 को डब्ल्यू.पी. (सिविल) नंबर 600/2016 (अश्विनी कुमार उपाध्याय और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य), पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने वर्तमान/ पूर्व विधायक (सांसद और विधायक) के लंबित आपराधिक मामलों की तेजी से सुनवाई के लिए स्वत: संज्ञान लिया था।
शुरुआत में, एमिकस क्यूरी ने अदालत को अवगत कराया था कि रजिस्ट्री द्वारा उसे दी गई जानकारी के अनुसार, केवल दो मामले उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के समक्ष लंबित हैं।
आगे कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए रजिस्ट्री से नए निर्देश प्राप्त कर सकते हैं कि सांसदों / विधायकों से संबंधित कोई भी मामला सूची से बाहर नहीं किया गया है।
इसके अलावा, न्यायालय ने भारत संघ, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI), प्रवर्तन निदेशालय ( ई.डी) और आदेश के ऑपरेटिव भाग (अश्विनी कुमार मामले में) के रूप में अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियों ने विशेष रूप से उल्लेख किया है कि राज्य (एस) द्वारा स्थापित सभी आपराधिक मामलों की सुनवाई की निगरानी की जानी है।