बरी करने के आदेश के खिलाफ केवल सरकारी अपील लंबित होने के कारण पासपोर्ट आवेदन को रोक नहीं सकते: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Update: 2021-12-11 06:34 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि किसी व्यक्ति के पासपोर्ट जारी करने के आवेदन को केवल इसलिए नहीं रोका जा सकता है, क्योंकि उस व्यक्ति के एक्व‌िटल ऑर्डर के खिलाफ सरकार की अपील लंबित है। जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि जब तक (एक आपराधिक मामले में) एक्विटल का आदेश रहता है, तब तक याचिकाकर्ता की बेगुनाही मानी जाएगी।

कोर्ट प्रमोद कुमार राजभर की याचिका पर विचार कर रहा था, जिसने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था, लेकिन सेशन्स ट्रायल में उसके पक्ष में पारित निर्णय और आदेश के खिलाफ राज्य की अपील के लंबित होने के कारण उसके आवेदन पर विचार नहीं किया गया था।

मामला

वर्ष 2014 में याचिकाकर्ता/राजभर के खिलाफ धारा 354-ए, 506, और 376 आईपीसी और पोक्सो एक्ट की धारा 3/4 के तहत आपराधिक कार्यवाही शुरू की गई थी, जिसमें सक्षम सत्र न्यायालय ने याचिकाकर्ता को दिसंबर 2020 में बरी कर दिया।

हालांकि, जब उन्होंने पासपोर्ट जारी करने के लिए एक आवेदन दायर किया तो उन्हें इसलिए रोक दिया गया क्योंकि इस मामले में सरकारी अपील दायर की गई थी, यानी इस बरी के खिलाफ।

इसे देखते हुए न्यायालय ने शुरुआत में पासपोर्ट अधिनियम, 1967 की धारा 6 का उल्लेख किया, जो उन बातों को बताता है जिनके लिए एक आवेदक को पासपोर्ट से वंचित किया जा सकता है और इस प्रकार कहा-

"याचिकाकर्ता का मामला किसी भी श्रेणी में नहीं आता है क्योंकि उसके पक्ष में पहले से ही एक्विटल आदेश पारित किया गया है, जिसे अपील में उलटा नहीं गया है। अन्यथा याचिकाकर्ता के हित के प्रतिकूल कोई आदेश पारित नहीं किया गया है। जब तक एक्विटल का आदेश रहता है, याचिकाकर्ता की बेगुनाही मानी जाएगी और इसलिए, याचिकाकर्ता के आवेदन को केवल सरकारी अपील के लंबित होने के कारण अस्वीकार नहीं किया जा सकता है ।"

इस पृष्ठभूमि में अदालत ने प्रतिवादी संख्या तीन को एक निर्देश देते हुए याचिका का निपटारा किया कि न्यायालय की टिप्पणियों के आलोक में पासपोर्ट प्रदान करने के लिए याचिकाकर्ता के आवेदन को तीन महीने के भीतर संसाधित किया जाए।

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केवल आपराधिक अपील के लंबित होने के आधार पर पासपोर्ट के नवीनीकरण से इनकार नहीं किया जा सकता है।

पिछले साल, कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा था कि पासपोर्ट अधिनियम की धारा 6 (2) (एफ), जिसके द्वारा पासपोर्ट प्राधिकरण किसी ऐसे व्यक्ति को नया पासपोर्ट जारी करने से मना कर सकता है जिसके खिलाफ भारत में आपराधिक मामला लंबित है, ऐसे मामलों में लागू नहीं होगा, जहां आवेदक अपने पासपोर्ट के नवीनीकरण की मांग कर रहा है।

केस शीर्षक - प्रमोद कुमार राजभर बनाम यूपी राज्य और 2 अन्य

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