सीआरपीसी की धारा 125 के तहत याचिका को इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता कि पत्नी के पास के पर्याप्त साधन हैं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है कि एक पत्नी सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता पाने का मौका इस आधार पर नहीं गंवा सकती है कि उसके पास अपने और अपने बच्चों के भरणपोषण के लिए पर्याप्त साधन हैं। उसे संपत्ति बेचने के बाद पैसा मिला है।
जस्टिस बृज राज सिंह की खंडपीठ ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत कृष्णा देवी की याचिका को खारिज करने के फैमिली कोर्ट के फैसले और आदेश को रद्द कर दिया। उन्होंने अपने पति से मासिक भरणपोषण के रूप में कम से कम दस हजार रुपये का भुगतान करने के लिए निर्देश देने की मांग की।
कृष्णा देवी (पत्नी / याचिकाकर्ता) ने फैमिली कोर्ट, लखनऊ के समक्ष सीआरपीसी की धारा 125 के तहत एक आवेदन दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने 1967 में विवाह किया था, जिससे तीन बच्चे पैदा हुए थे।
याचिका में उन्होंने कहा था कि उसके पति ने उसे 1983 तक भरणपोषण प्रदान किया, लेकिन उसके बाद रोक दिया। जिसके बाद वह अपने भाई पर निर्भर रही, जो उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करते था, लेकिन अचानक वह लापता हो गया। इसलिए, उन्होंने अपने पति से इस आधार पर भरणपोषण की मांग की कि उसके पास आय का कोई स्रोत नहीं है।
फैमिली कोर्ट ने उसके आवेदन को निम्नलिखित आधारों पर अस्वीकार कर दिया था-
-याचिकाकर्ता ने यह प्रस्तुत नहीं किया कि वह अलग क्यों रह रही थी।
- उसने फर्रुखाबाद की संपत्ति बेची थी। उसे संपत्ति बेचने के बाद धन प्राप्त हुआ था, जो यह दिखाता है कि उसके पास पर्याप्त साधन हैं।
-याचिकाकर्ता यह बताने में असमर्थ है कि उसके बच्चे साक्षर है या निरक्षर या वे कितने शिक्षित हैं...
-तीनों बच्चों को उसने सैटल किया था; इस प्रकार, उसके पास भरणपोषण के साधन थे।
-पति ने बताया कि याचिकाकर्ता के एक व्यक्ति के साथ अवैध संबंध थे और उक्त तथ्य को उसने अस्वीकार नहीं किया गया था।
हाईकोर्ट की टिप्पणियां
हाईकोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट अदालत ने इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया कि चूंकि उसके पति ने दूसरी शादी की है, और उसे छोड़ दिया है, इसलिए वह अलग रह रही थी।
संपत्ति बेचने के बाद मिले धन के संबंध में कोर्ट ने कहा,
"निचली अदालत का निष्कर्ष विकृत प्रतीत होता है क्योंकि अगर फर्रुखाबाद में कुछ संपत्ति थी और बेची गई संपत्ति के पैसे को बच्चों और याचिकाकर्ता के भरणपोषण के लिए इस्तेमाल किया गया था, यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता है कि याचिकाकर्ता ने धारा 125 सीआरपीसी के तहत भरणपोषण पाने का अपना मौका गंवा दिया है।"
पति के दावे और न्यायालय के निष्कर्ष कि याचिकाकर्ता के अवैध संबंध थे, इस बारे में न्यायालय ने जोर देकर कहा कि उक्त निष्कर्ष भी विकृत था क्योंकि तथ्य का बयान साबित नहीं हुआ था।
इसके अलावा, रजनेश बनाम नेहा और एक अन्य, (2021) 2 एससीसी 324 के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए, कोर्ट ने कहा कि गुजारा भत्ता देते समय पति और पत्नी के स्टेटस को देखा जाना चाहिए और भले ही पत्नी काम करती है और उसके पास आय के कुछ साधन हैं, वह पति के स्टेटस के अनुसार भरणपोषण की हकदार है।
नतीजतन, अदालत ने चार सप्ताह की अवधि के भीतर एक नया निर्णय लेने के लिए मामले को निचली अदालत में भेज दिया।
केस टाइटल- श्रीमती कृष्णा देवी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य [CRIMINAL REVISION No. - 205 of 2016]
केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (एबी) 250