किसी स्मारक को राष्ट्रीय महत्व का घोषित करने के लिए सरकार को निर्देश नहीं दे सकते: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Update: 2022-04-22 14:59 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि न्यायालय किसी भी स्मारक को राष्ट्रीय महत्व का घोषित करने वाली अधिसूचना जारी करने के उद्देश्य से सरकार को निर्देश जारी नहीं कर सकता।

मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने एक मो. मोइन कुरैशी ने राज्य सरकार को खान-ए-दौरान की हवेली, मौजा बसई मुस्तकिल (ताजगंज), जिला आगरा के प्राचीन स्मारकों को राष्ट्रीय महत्व का घोषित करने के संबंध में अंतिम अधिसूचना जारी करने का निर्देश देने की मांग की।

याचिका में यह प्रस्तुत किया गया था कि 23 अप्रैल, 2015 को एक प्रारंभिक अधिसूचना, प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 की धारा 4 (1) के तहत जारी की गई थी और आपत्तियां 2 महीने में आमंत्रित की गई थीं।

हालांकि याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि उसके बाद, राज्य सरकार द्वारा इस बारे में कोई अंतिम अधिसूचना जारी नहीं की गई और इसलिए, याचिकाकर्ता ने कहा कि अंतिम अधिसूचना तुरंत जारी की जानी चाहिए। इस प्रकार याचिकाकर्ता ने अदालत से इस आशय का निर्देश जारी करने की मांग की।

न्यायालय ने हालांकि ऐसा करने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी।

अदालत ने इस प्रकार देखा,

" हमारी राय में किसी भी स्मारक को राष्ट्रीय महत्व का घोषित करने वाली अधिसूचना जारी करने के लिए प्रतिवादियों (सरकार) को निर्देश जारी नहीं किया जा सकता क्योंकि यह उक्त अधिनियम के तहत सक्षम प्राधिकारी द्वारा तय किया जाने वाला मामला है।"

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अमित कुमार मिश्रा पेश हुए।

केस का शीर्षक- मो. मोइन कुरैशी बनाम यूपी राज्य और अन्य

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