एसएसबी परीक्षा- दाहिने हाथ पर धार्मिक टैटू के कारण उम्मीदवारों को मेटिकल टेस्ट में अनफिट घोषित किया गया: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह तीन उम्मीदवारों की ओर से दायर एक याचिका पर केंद्र सरकार और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के उच्च अधिकारियों से जवाब मांगा है, जिन्हें उनके दाहिने हाथ पर धार्मिक टैटू के कारण मेडिकल टेस्ट में अनफिट घोषित कर दिया गया था।
जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने केंद्र और एसएसबी के वकील को इस संबंध में निर्देश प्राप्त करने को कहा और मामले को 23 फरवरी को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया।
मामला
अवनीश कुमार और 2 अन्य लोग सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) में हेड कांस्टेबल (मंत्रिस्तरीय) के पद के लिए परीक्षा में शामिल हुए और उन्होंने टाइपिंग टेस्ट भी पास कर लिया। 13.11.2021 को जब मेडिकल टेस्ट किया गया, तो वे शारीरिक रूप से स्वस्थ पाए गए हालांकि हाथों के पर टैटू के कारण उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया।
याचिकाकर्ताओं को नियुक्ति के लिए चिकित्सकीय रूप से फिट पाया गया था, लेकिन दाहिने हाथ पर धार्मिक टैटू के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया। याचिकाकर्ताओं का दोबारा मेडिकल टेस्ट 17.11.2021 को किया गया और कथित तौर पर, उन्हें उनके दाहिने हाथ पर बने टैटू को हटाने का अवसर दिए बिना, उन्हें टैटू के आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
याचिकाकर्ताओं ने प्रस्तुत किया कि टैटू आकार में छोटे हैं और केवल धार्मिक प्रतीक हैं और मेडिकल में उन्हें अयोग्य घोषित किए जाने के बाद, आवेदकों ने अपने दाहिने हाथ के टैटू को हटाने के लिए इलाज कराया।
टैटू हटाने के बाद उन्होंने प्रतिवादियों के समक्ष अभ्यावेदन दिया। हालांकि, प्रतिवादियों द्वारा याचिकाकर्ताओं के प्रतिनिधित्व पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है और इसलिए, उन्होंने हाईकोर्ट समक्ष याचिका दायर की।
गौरतलब है कि भारतीय सेना द्वारा "शरीर पर स्थायी टैटू के साथ एसएसबी साक्षात्कार के लिए उपस्थित होने वाले उम्मीदवारों के लिए टैटू नीति" से संबंधित दिशा-निर्देशों के अनुसार, 'दोनों' हाथों पर गैर-आक्रामक, छोटे टैटू की अनुमति है। हालांकि अतिरिक्त महानिदेशक, चिकित्सा (एसएसबी) द्वारा जारी चिकित्सा दिशानिर्देशों के अनुसार, इस तरह के टैटू की अनुमति केवल बाएं हाथ के फोरआर्म पर बनाने की है।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि भले ही एसएसबी द्वारा हेड कांस्टेबल पद के लिए जारी किए गए विज्ञापन में ऐसा कोई नियम नहीं था, फिर भी उन्होंने पहली मेडिकल जांच के बाद अपने टैटू हटा दिए। हालांकि, उन्हें अभी भी पुन: चिकित्सा परीक्षा के अवसर से वंचित रखा गया है।
इस पृष्ठभूमि के खिलाफ, दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने केंद्र और एसएसबी के वकील को इस संबंध में निर्देश लेने का निर्देश दिया और मामले को 23 फरवरी को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट किया गया।
केस शीर्षक - अवनीश कुमार एंड 2 अन्य बनाम भारत संघ एंड 4 अन्य