क्या बार काउंसिल बार एसोसिएशन की चुनाव प्रक्रिया में दखल दे सकती है? केरल हाईकोर्ट विचार करेगा
केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को बार एसोसिएशन की चुनाव प्रक्रिया और मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए बार काउंसिल ऑफ केरल की शक्ति पर सवाल उठाने वाली एक रिट याचिका को स्वीकार कर लिया।
अधिवक्ता उन्नीकृष्णन केएम और ओलिवर डेंटेस, कुन्नमकुलम बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और सचिव ने केरल बार काउंसिल द्वारा जारी एक पत्र को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसमें उन्होंने सूचित किया कि उन्होंने विवाद को निपटाने के लिए दो सदस्यों को अधिकृत करने का संकल्प लिया और उन्हें चुनाव करने के अधिकृत भी किया गया।
उक्त एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और सचिव ने बार काउंसिल से संपर्क कर परिषद द्वारा नियुक्त व्यक्ति की देखरेख में नए सिरे से चुनाव कराने का अनुरोध किया था। बाद में, इस विवाद को सुलझा लिया गया और एक मध्यस्थता समझौता हुआ।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि बाद में पूर्व अध्यक्ष और सचिव इस समझौते से मुकर गए और उसके बाद बार काउंसिल ने ऊपर बताए अनुसार यह पत्र जारी किया।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया,
"अधिवक्ता अधिनियम 1961 के तहत गठित एक वैधानिक निकाय होने के नाते बार काउंसिल अधिनियम के तहत निहित शक्तियों के अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य है। कुन्नमकुलम बार एसोसिएशन के चुनाव मामलों में हस्तक्षेप करने की दृष्टि से पत्र जारी करना अधिनियम के तहत उनके पास निहित शक्तियों के दायरे से परे है। बार काउंसिल के पास बार एसोसिएशन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।"
जस्टिस पीबी सुरेश कुमार ने रिट याचिका को स्वीकार करते हुए बार काउंसिल की ओर से जारी पत्र पर भी रोक लगा दी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सी. धीरज राजन और आनंद कल्याणकृष्णन पेश हुए।
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