क्या आर्य समाज मैरिज ब्यूरो किसी व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कर सकता है? मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्टीकरण मांगा
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने हाल ही में आर्य समाज ट्रस्ट के जनरल सेक्रेटरी को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में पेश होकर संहिताबद्ध / प्रथागत कानून के बारे में यह स्पष्ट करने को कहा कि आर्य मंदिर संस्था किसी व्यक्ति का धर्म परिवर्तन करवा सकती है?
जस्टिस रोहित आर्य और जस्टिस एम.आर. फड़के की खंडपीठ ने बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) की प्रकृति में दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए सवाल उठाया,
प्रतिवादी नंबर छह के अधिवक्ता से प्रश्न पर कोई जवाब नहीं दिया गया कि संहिताबद्ध कानून या प्रथागत कानून के किस प्रावधान के तहत आर्य समाज विवाह मंदिर जो वास्तव में एक आर्य समाज विवाह ब्यूरो है, किसी व्यक्ति के धर्म को परिवर्तित कर सकता है?
उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है। इसके बजाय, उन्होंने यह प्रस्तुत करने का प्रयास किया कि एक बार आर्य समाज विवाह मंदिर के समक्ष एक नोटरीकृत समझौता प्रस्तुत करने के बाद धर्मांतरण के बारे में संदेह करने का कोई कारण नहीं है और इसलिए विवाह को सम्पन्न माना जाए।
कोर्ट ने कहा कि सवाल के जवाब में दिया गया सबमिशन 'बेहद गलत धारणा' पर आधारित है, जिसके लिए कानून का कोई आधार नहीं है। तदनुसार, अदालत ने संस्था के जनरल सेक्रेटरी को सुनवाई की अगली तारीख पर व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया।
मामले के तथ्य यह है कि याचिकाकर्ता हिंदू पुरुष को मुस्लिम महिला के कथित तौर पर आर्य समाज विवाह मंदिर में उसके धर्मांतरण पर उसके साथ विवाह करने की अनुमति दी गई थी।
इससे पहले कोर्ट ने 18.01.2022 के आदेश के तहत याचिकाकर्ता की याचिका को वापस लेने की प्रार्थना को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह एक 'गंभीर मामला' है।
मामला 02.05.2022 को सूचीबद्ध है।
केस शीर्षक: राहुल उर्फ गोलू बनाम मध्य प्रदेश और अन्य राज्य
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