क्या जमानत पर रिहा आरोपी को नौकरी के लिए विदेश जाने की अनुमति दी जा सकती है? केरल हाईकोर्ट ने उत्तर दिया

Update: 2021-06-12 14:06 GMT

केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को विदेश जाने की अनुमति मांगने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जमानत पर रिहा आरोपी को अपनी ड्यूटी पर फिर से संयुक्त अरब अमीरात जाने की अनुमति दी है।

कोर्ट ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया की परिणति सुनिश्चित करते हुए आरोपी के अपने व्यवसाय को जारी रखने के अधिकार को कम नहीं किया जा सकता है।

याचिकाकर्ता-आरोपी अरुण बेबी द्वारा दायर याचिका में उल्लेख किया गया है कि वह संयुक्त अरब अमीरात में जनरल इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के रूप में कार्यरत है, और उसे दिया गया वीजा 15.07.2021 को समाप्त हो जाएगा। याचिकाकर्ता ने आग्रह किया कि उसके लिए पर्याप्त रूप से जल्दी संयुक्त अरब अमीरात जाना आवश्यक है।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट सलाह मनु रामचंद्रन ने कहा कि सत्र न्यायालय ने ऐसी कोई शर्त नहीं लगाई है कि याचिकाकर्ता को जमानत देते समय विदेश जाने के लिए अदालत की पूर्व अनुमति लेनी चाहिए। यह याचिका केवल इसलिए दायर की गई है क्योंकि याचिकाकर्ता कानून का पालन करने वाला नागरिक होने के कारण भविष्य में कठिनाइयों से बचना चाहता है।

कोर्ट ने कहा कि हालांकि सामान्य नियम यह कहता है कि साक्ष्य आरोपी की उपस्थिति में लिया जाए, उसकी अनुपस्थिति में साक्ष्य तब तक लिया जा सकता है जब तक कि उसका वकील अदालत में मौजूद है, बशर्ते आरोपी को उपस्थिति से छूट दी गई हो।

कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी की अनुपस्थिति में भी वर्तमान मुकदमा आगे बढ़ सकता है और अभियोजन पक्ष के गवाहों के लिए अदालत में अपराधी के रूप में उसकी पहचान करना आवश्यक नहीं है। इसलिए याचिकाकर्ता को निम्नलिखित शर्तों पर व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी गई है।

- याचिकाकर्ता-आरोपी को संबंधित मजिस्ट्रेट की अदालत में एक हलफनामा दाखिल करना चाहिए कि जब भी आवश्यकता होगी वह उस अदालत के समक्ष पेश होगा।

-याचिकाकर्ता को निचली अदालत के समक्ष पेश होने के लिए एक वकील को नियुक्त करना चाहिए।

-हलफनामे में यह भी वचन दिया जाना चाहिए कि उसके द्वारा नियुक्त वकील सुनवाई की प्रत्येक तारीख को उसकी ओर से निचली अदालत के समक्ष पेश होगा।

-याचिकाकर्ता को उसकी अनुपस्थिति में साक्ष्य की रिकॉर्डिंग पर आपत्ति नहीं होगी

- याचिकाकर्ता की ओर से कोई स्थगन नहीं मांगा जाएगा।

न्यायमूर्ति आर. नारायण पिशारदी ने याचिका की अनुमति देते हुए कहा कि,

"यदि न्यायालय इस बात से संतुष्ट है कि न्याय के हित में उसके समक्ष किसी आरोपी की व्यक्तिगत उपस्थिति पर जोर देने की आवश्यकता नहीं है तो अदालत को उसकी उपस्थिति से छूट देने की शक्ति है। यदि कोई अदालत यह महसूस करता है कि आरोपी परेशानी पैदा कर सकता है तो याचिकाकर्ता की व्यक्तिगत उपस्थिति पर जोर दिया जा सकता है और अगर ऐसा नहीं को अदालत उसे उचित राहत दे सकता है।"

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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