कलकत्ता हाईकोर्ट ने अधीनस्थ न्यायपालिका में लंबित मामलों को निपटाने के लिए 'एक्शन प्लान' जारी किया
कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को अधीनस्थ न्यायपालिका में लंबित मामलों को निपटाने के लिए न्यायिक अधिकारियों के लिए एक 'कार्य योजना (एक्शन प्लान)' जारी किया।
एक्शन प्लान में 7 वर्ष या उससे अधिक समय से लंबित विभिन्न श्रेणियों के मामलों के निपटान के लक्ष्य की परिकल्पना की गई है और ऐसे मामलों के त्वरित निपटान के लिए समय सीमा भी आवंटित की गई है।
एक्शन प्लान को अधिक प्रभावी बनाने के लिए पश्चिम बंगाल और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के जिलों को तीन अलग-अलग समूहों में वर्गीकृत किया गया है। जिला न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या के आधार पर मामलों को तीन समूहों में बांटा गया है: यानी ए, बी और सी।
क्लस्टर ए में लंबित मामले 85,000 और अधिक हैं, क्लस्टर बी में 40,000-85,000 के बीच लंबित मामले शामिल हैं जबकि क्लस्टर सी में 40,000 से कम मामले हैं।
इसके अलावा लंबित मामलों के निपटान के लक्ष्यों को भी विभिन्न न्यायालयों जैसे सीबीआई अदालतों और पोक्सो अधिनियम, एनडीपीएस अधिनियम, एससी एसटी अधिनियम और बिजली अधिनियम के तहत मामलों से निपटने वाले विशेष न्यायालयों के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।
उच्च न्यायालय प्रशासन द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि कार्य योजना की परिकल्पना कलकत्ता उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल के मार्गदर्शन में की गई है।
अधिसूचना में कहा गया है कि यह उम्मीद की जाती है कि ऐसी योजना को अपनाने से लंबित मामलों की संख्या में तेजी से कमी आ सकती है और अधीनस्थ न्यायपालिका में मामलों के बैकलॉग में उल्लेखनीय अंतर देखा जाएगा।