मद्रास हाईकोर्ट ने सीएए विरोधी आंदोलनकारियों को तमिलनाडु विधानसभा की घेराबंदी करने से रोका

Update: 2020-02-19 09:00 GMT

Madras High Court

मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार को मुस्लिम संगठनों के एक समूह को तमिलनाडु विधानसभा की घेराबंदी करने से रोक दिया। इन संगठनों ने सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित कराने के लिए दबाव बनाने की रणनीति के तहत विधानसभा की घेराबंदी के लिए आंदोलन चलाने का का प्रस्ताव दिया था।

न्यायमूर्ति एम सत्यनारायण और न्यायमूर्ति आर हेमलता की पीठ ने 11 मार्च तक के लिए अंतरिम निषेधाज्ञा देकर फेडरेशन ऑफ तमिलनाडु इस्लामिक एंड पॉलिटिकल ऑर्गेनाइजेशन और उसके सहयोगी संगठनों के बुधवार के प्रस्तावित आंदोलन पर रोक लगा दी।

एक जनहित याचिका पर अंतरिम आदेश पारित करते हुए, जिसमें पुलिस को आंदोलन की अनुमति देने से रोकने की मांग की गई थी, पीठ ने मामले को 12 मार्च तक के लिए स्‍थगित कर दिया।

अदालत ने यह स्पष्ट किया कि वह नागरिकता संशोधन अधिनियम, या राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर या राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रही है।

तमिलनाडु विधानसभा की घेराबंदी का आह्वान सीएए के विरोध में प्रस्ताव पार‌ित कराने के लिए एआईएडीएमके सरकार पर दबाव बनाने के लिए किया गया था। उल्‍लेखनीय है कई गैर-भाजपा शासित राज्यों में सीएए विरोध में प्रस्ताव पारित किया जा चुका है।

विपक्षी डीएमके ने तमिलनाडु विधानसभा में सीएए विरोधी प्रस्ताव पेश करने का प्रयास किया था, हालांकि स्पीकर पी धनपाल मामले को कोर्ट में होने का हवाला देते हुए उन्हें प्रस्ताव पेश करने की इजाजत नहीं दी थी। उल्‍लेखनीय है कि सीएए के खिलाफ कोर्ट में कई याचिकाएं लंब‌ित है।

तमिलनाडु विधानसभा के बजट सत्र का पहला चरण 20 फरवरी तक है।

इससे पहले, अतिरिक्त महाधिवक्ता एसआर राजगोपाल ने अदालत से कहा कि किसी भी विरोध प्रदर्शन के लिए पुलिस की अनुमति कम से कम पांच दिन पहले आवेदन किया जाना चाहिए, जबकि इस मामले में संगठन ने सोमवार को ही अनुमति मानी थी, जबकि आंदोलन बुधवार को था।

उन्होंने यह भी कहा कि 13 फरवरी से 15 दिनों की अवधि के लिए मद्रास सिटी पुलिस अधिनियम की धारा 41 के तहत मद्रास में प्रतिबंधात्मक आदेश लागू हैं और शहर में किसी भी प्रकार के आंदोलन या प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

वहीं, याचिकाकर्ता वाराकी ने कहा कि अगर विधानसभा घेराबंदी की अनुमति दी जाती है और बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी सचिवालय के पास इकट्ठा हो जाएंगे और सरकार का सामान्य कामकाज ठप पड़ जाएगा।

सोमवार को, जब मुख्य न्यायाधीश एपी साही और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की पहली बेंच के समक्ष ये मुद्दा उठाया गया तो उन्होंने जनहित याचिका दायर करने का निर्देश दिया था और कहा कि वो इस पर मंगलवार को सुनवाई करेंगे।

हालांकि, जब याचिकाकर्ता के वकील ने मंगलवार को न्यायमूर्ति सत्यनारायण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की, तो शुरू में उन्होंने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया और कहा कि इसे सामान्य तरीके से आने दें।

हालांकि, याचिकाकर्ता की ओर से बाद में पीठ के समक्ष पेश हुए वरिष्ठ वकील एनएल राजा ने याचिका पर सुनवाई का अनुरोध किया और कहा कि आंदोलन को बुधवार को प्रस्तावित किया गया है और इससे जनता प्रभावित होगी।

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