क्या शादी करने का वादा तोड़ना बलात्कार है? सवाल यह है कि आरोपी क्या वास्तव में पीड़िता से शादी करना चाहता था या उसने अपनी हवस पूरी करने के लिए झूठा वादा किया? : केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने आईपीसी की धारा 376 (2)(n) और 506 के तहत आरोपी व्यक्ति की गिरफ़्तारी से पहले ज़मानत की अर्ज़ी पर सुनवाई करते हुए कहा कि शादी करने के हर वादे को तोड़ना बलात्कार नहीं माना जा सकता।
न्यायमूर्ति राजा विजयराघवन ने अपने फ़ैसले में कहा,
"इस तरह के मामले में जिस प्रश्न पर ग़ौर किया जाना है वह यह कि आरोपी क्या वास्तव में पीडिता से शादी करना चाहता था, उसकी मंशा गलत थी और उसने अपनी हवस पूरी करने के लिए झूठा वादा किया था।"
अदालत ने कहा,
"अगर साक्ष्य प्रथम दृष्टया इस बात की तस्दीक़ करते हैं कि पीड़िता ने आरोपी के प्रति प्यार और लगाव के कारण उसके साथ यौन संबंध स्थापित किया और सिर्फ़ इसलिए नहीं क्योंकि आरोपी ने उसके मन में ग़लतफ़हमी पैदा की या आरोपी परिस्थितिवश जिस पर उसका कोई नियंत्रण नहीं था, इच्छा रहते हुए भी उससे शादी नहीं कर पाया तो इस तरह के मामले बलात्कार की परिधि में नहीं आएंगे और इन पर अलग तरह से विचार करना होगा।"
इस मामले में डॉक्टर ध्रुवराम मुरलीधर सोनार बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का हवाला भी दिया गया।
सूचना के अनुसार एक बेटी की मां यह महिला अपने पति से अलग रह रही थी। आरोपी उसे खाने-पीने का सामान लाकर देता था। बाद में आरोपी ने उसके साथ बलात्कार किया जिसके बाद वह गर्भवती हो गई। आरोपी ने यह बताए जाने पर कहा कि अगर वह अपने पति से तलाक़ ले लेती है तो वह उससे शादी कर लेगा। जब याचिककर्ता ने उससे संपर्क तोड़ लिया तो उसने पुलिस में शिकायत की।
याचिककर्ता के वक़ील बीजू सी अब्राहम ने कहा कि आरोपी ने बलात्कार नहीं किया और उसने कोई झूठा वादा नहीं किया था और सहमति से शारीरिक संबंध बनाने की बात तथ्यों की ग़लतफ़हमी की वजह से कमजोर पड़ जाता है।
अदालत ने आरोपी को अग्रिम ज़मानत दे दी और कहा कि अभी यह नहीं कहा जा सकता कि उसने उससे शारीरिक संबंध बनाने के लिए झूठा वादा किया था।
अदालत ने कहा कि इस समय आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की ज़रूरत नहीं है। ज़मानत देते हुए अदालत ने उसे मामले की जांच में सहयोग करने को कहा और यह कि वह अगले दो महीने तक या जांच की अंतिम रिपोर्ट तैयार होने तक, दोनों में से जो पहले हो, वह जांच अधिकारी के समक्ष हर शनिवार को 9 बजे से 11 बजे सुबह तक पेश होगा।
अदालत ने इस संबंध में दीपक गुलाटी बनाम हरियाणा राज्य (2013)7 SCC 675, मामले में आए फ़ैसले का भी ज़िक्र किया जिसमें कहा गया था कि दोनों पक्षों के बीच शारीरिक संबंध पीडिता की सहमति से बने थे क्योंकि न तो इसके प्रतिरोध का कोई सबूत है और न ही उसने किसी भी समय इस बारे में कोई शिकायत की जबकि वह आरोपी के साथ कई दिनों से रह रही थी और उसके साथ एक जगह से दूसरे जगह गई भी थी।
अदालत ने कहा कि इस तरह की परिस्थिति का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है जिसके तहत आरोपी के ख़िलाफ़ धोखा/बलात्कार के आरोप लगाए जा सकते हैं।