बॉम्बे हाईकोर्ट ने रेमंड के पूर्व चेयरमैन विजयपत सिंघानिया की आत्मकथा की बिक्री पर रोक लगाई

Update: 2021-11-05 06:43 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को रेमंड ग्रुप के पूर्व चेयरमैन एमेरिटस डॉ विजयपत सिंघानिया की आत्मकथा की बिक्री या वितरण पर रोक लगा दी।

जस्टिस सुरेंद्र तावड़े ने रेमंड लिमिटेड की अवमानना ​​याचिका में अंतरिम आदेश पारित किया। उल्‍लेखनीय है कि विजयपत सिंघानिया के बेटे गौतक सिंघानियां रेमंड ग्रुप में वर्तमान अध्यक्ष हैं। फरवरी 2015 में गौतम को होल्डिंग कंपनी में 1000 करोड़ रुपये के शेयर हस्तांतरित करने के बाद पिता-पुत्र की जोड़ी एक कड़वी लड़ाई के वर्षों में उलझी हुई है।

संविधान के अनुच्छेद 226, 227 के तहत याचिका सिंघानिया, मैकमिलन पब्लिशर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और अमेज़ॅन इंडियन लिमिटेड के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि निषेधाज्ञा के बावजूद किताब को एक नवंबर को "गुप्त रूप से" जारी किया गया था।

गुरुवार को हाईकोर्ट ने उत्तरदाताओं को ठाणे में दायर एक अपील के लंबित होने तक कंपनी से संबंधित किसी भी बयान के साथ आत्मकथा "एन इनकंप्लीट लाइफ" को वितरित करने से रोक दिया।

जस्टिस तावड़े ने आदेश में कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिवादी संख्या तीन ने निषेधाज्ञा आदेश पारित होने के बावजूद आत्मकथा प्रकाशित की है। कि‌ताब की डिजिटल और हार्ड कॉपी अमेजन पर बेची जा रही है। इस कार्रवाई को रोकने की आवश्यकता है क्योंकि प्रतिवादियों के खिलाफ निषेधाज्ञा आदेश चल रहा है। मेरा विचार है कि निषेधाज्ञा आदेश जारी करके आगे की क्षति को रोकने की आवश्यकता है, जैसा कि प्रार्थना की गई है।"

अदालत ने कहा कि सितंबर 2018 में रेमंड ने सिंघानिया और तत्कालीन प्रकाशक पेंगुइन रैंडम हाउस के खिलाफ ठाणे की अदालत में मुकदमा दायर किया था। मुकदमे में सिंघानिया की आत्मकथा के प्रकाशन पर स्थायी रोक लगाने की मांग की गई थी।

याचिका के अनुसार, आत्मकथा कंपनी के निजता के अधिकार का उल्लंघन करती है, समूह को बदनाम करती है, और इसके व्यावसायिक संचालन और अन्य गोपनीय जानकारियों पर चर्चा करती है, और टैगलाइन 'ए कम्‍प्लीट मैन' का अपमान करती है।

कंपनी ने आरोप लगाया कि किताब में याचिकाकर्ता (रेमंड) के अध्यक्ष गौतम सिंघानिया और विजयपत सिंघानिया के बीच गोपनीय मध्यस्थता कार्यवाही और अन्य चल रही कानूनी कार्यवाही के बारे में जानकारी और विवरण शामिल हैं।

17 अप्रैल 2019 को ट्रायल कोर्ट ने सिंघानिया और पेंगुइन को आठ दिनों के लिए किताब प्रकाशित करने से रोक दिया। लेकिन अंतरिम आवेदन खारिज हो गया।

याचिकाकर्ता ने 2019 में जिला न्यायाधीश के समक्ष आदेश को चुनौती दी, जिन्होंने 22 अप्रैल, 2019 को सिंघानिया और पेंगुइन को अपील के लंबित रहने तक किताब को प्रकाशित करने से रोक दिया।

याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट को बताया कि ठाणे कोर्ट दिवाली की छुट्टी के लिए बंद था, और इसलिए वे सीधे हाईकोर्ट से संपर्क करने के लिए विवश थे।

जस्टिस तावड़े ने आदेश में कहा, "अवमाननाकर्ता ​संख्या 2 - 3, उनके निदेशकों, कर्मचारियों, थोक विक्रेताओं, वितरकों को.....अन्य बातों के साथ-साथ विज्ञापन, प्रदर्शन, लेखन, संपादन, मुद्रण, संलेखन, बिक्री, बिक्री की पेशकश, आगे वितरण, बिक्री, या अन्यथा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कथित आत्मकथा "एन इनकंप्लीट लाइफ" को याचिकाकर्ता (रेमंड) से संबंधित किसी भी बयान के साथ उपलब्ध कराने से.. रोका जाता है।"

आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

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