महाराष्ट्र में बैलगाड़ी दौड़ के खिलाफ जनहित याचिका पर हाईकोर्ट का विचार करने से इनकार
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र में बैलगाड़ी दौड़ पर आपत्ति जताने वाली जनहित याचिका (PIL) इस आधार पर खारिज कर दी कि दौड़ से पहले जानवरों के साथ क्रूरता की जाती है।
जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस संदीप मार्ने की खंडपीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 18 मई, 2023 को दिए गए अपने फैसले में पहले ही फैसला सुना दिया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में बैलगाड़ी दौड़, तमिलनाडु में जल्लीकट्टू और कर्नाटक में कंबाला को अनुमति देने वाले कानूनों को बरकरार रखा था।
जजों ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा,
"सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में बैलगाड़ी दौड़ से संबंधित सभी मुद्दों पर अंतिम निर्णय ले लिया है। अब कुछ नहीं किया जा सकता और आगे किसी निर्देश की आवश्यकता नहीं है।"
याचिकाकर्ता द्वारा अपनी बात रखने के आग्रह पर चीफ जस्टिस ने उनसे महाराष्ट्र के उन गाँवों का दौरा करने और जानवरों के प्रति क्रूरता के खिलाफ जागरूकता फैलाने को कहा, जहां ऐसी दौड़ आयोजित की जाती हैं।
चीफ जस्टिस अराधे ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,
"जाओ, एक टीम बनाओ, महाराष्ट्र के विभिन्न गांवों में जागरूकता फैलाओ... यही तुम्हारा सच्चा योगदान होगा... जनहित याचिका दायर करके प्रचार क्यों चाह रहे हो?"
इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने जजों को यह तथ्य बताकर समझाने की कोशिश की कि ऐसी दौड़ जीतने वाले लोगों को बोलेरो कार और अन्य व्यावसायिक पुरस्कार मिलते हैं।
वकील ने कहा,
"लोग बोलेरो कार, पैसा और अन्य पुरस्कार तो पा रहे हैं, लेकिन इसके लिए वे जानवरों पर क्रूरता करके उन्हें घायल कर रहे हैं।"
हालांकि, इस तर्क से नाखुश चीफ जस्टिस अराधे ने कहा,
"कृपया यहां भाषण न दें, यह सही मंच नहीं है... सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मुद्दे पर फैसला सुना चुका है। अब किसी और निर्देश की आवश्यकता नहीं है।"
इसके साथ ही खंडपीठ ने जनहित याचिका खारिज कर दी।