भाजपा के चंद्रकांत पाटिल को लेकर सोशल मीडिया पोस्ट: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कांग्रेस कार्यकर्ता संदीप कुडले के खिलाफ एफआईआर खारिज की

Update: 2023-02-27 08:41 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता संदीप कुडाले के खिलाफ दो प्राथमिकी खारिज कर दी और गलत गिरफ्तारी के लिए पुलिस पर 25,000 रुपए का जुर्माना लगाया। जुर्माने की राशि पुलिस अधिकारी के वेतन से वसूलने का आदेश दिया।

कुडले को 11 दिसंबर, 2022 को पुणे पुलिस ने आईपीसी की धारा 153ए(1)(ए) और 153ए(1)(बी) के तहत गिरफ्तार किया था। उच्च शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने बीते दिन डॉ. बीआर अंबेडकर और महात्मा ज्योतिबा फुले पर बयान दिए थे। इस बयान को लेकर कुडले ने सोशल मीडिया पोस्ट किया था।

जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज के चव्हाण की खंडपीठ ने दोनों प्राथमिकी रद्द कर दी और पुलिस पर जुर्माना लगाया। राज्य के महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने जुर्माने का विरोध किया और बहस के लिए समय मांगा। उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारी के वेतन से पैसा वसूलने के खिलाफ कई फैसले आए हैं।

हालांकि, जस्टिस डेरे ने कहा कि अदालत के आदेशों की अवहेलना हुई और पुलिस अधिकारियों को अपने कार्यों के परिणामों को जानना चाहिए। खासकर, जब कोई मामला नहीं बनता है तो भी लोगों को गिरफ्तार किया जाता है।

जस्टिस डेरे ने आगे कहा कि अगर इस तरह का रवैया जारी रहा तो जुर्माने में वृद्धि की जाएगी।

कोथरूड पुलिस स्टेशन में दर्ज प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि डॉ. बीआर अंबेडकर और ज्योतिबा फुले के बारे में टिप्पणियों के लिए पाटिल पर स्याही फेंके जाने के बाद मंत्री चंद्रकांत पाटिल के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए अपने वीडियो के माध्यम से कुडले ने विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया।

प्राथमिकी में आगे आरोप लगाया गया कि कुडले ने पाटिल के घर के बाहर खड़े होकर एक वीडियो फिल्माया और पोस्ट ने पाटिल के खिलाफ अवमानना का माहौल बनाया।

एडवोकेट सुबोध देसाई ने कुडले के एडवोकेट लोकेश जेड के साथ कहा था कि एफआईआर दुर्भावनापूर्ण है, और कथित अपराध नहीं बनते हैं। उन्होंने यह भी तर्क दिया था कि कुडले के खिलाफ समान प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अपनी याचिका में, कुडले ने राजनीतिक प्रतिशोध के कारण झूठे आरोप लगाने की संभावना का हवाला दिया था क्योंकि शिकायतकर्ता भाजपा का सदस्य है और कुदले कांग्रेस पार्टी का सदस्य है।

याचिका में कहा गया है कि कथित दुश्मनी दो या दो से अधिक समुदायों के बीच होनी चाहिए, हालांकि धारा 153ए को आकर्षित करने के लिए केवल दूसरे समुदाय का उल्लेख पर्याप्त नहीं है। इसके अलावा, कुडाले की याचिका के अनुसार, विभिन्न समूहों और लोगों के समुदाय के बीच वैमनस्य पैदा करने का कोई इरादा नहीं था।

सुनवाई के दौरान पीठ ने राज्य से पूछा था कि सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत नोटिस क्यों नहीं जारी किया गया और क्या इसकी आवश्यकता नहीं थी। इसने आगे यह जानने की मांग की थी कि कैसे पोस्ट ने विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य पैदा किया और ऐसी स्थिति पैदा की जिसमें आईपीसी की धारा 153ए को जोड़ने की आवश्यकता थी।

अदालत ने टिप्पणी की थी कि पुलिस से गिरफ्तारी का 'कठोर कदम' उठाने से पहले प्रक्रिया को बनाए रखने की उम्मीद की जाती है।

राज्य के महाधिवक्ता डॉ. बीरेंद्र सराफ ने प्रस्तुत किया था कि प्राथमिकी समान नहीं थीं। उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा जमीनी स्थिति का आकलन करने के बाद एक शिकायत पर पहली प्राथमिकी दर्ज की गई। पाटिल की टिप्पणियों के बाद राज्यव्यापी विरोध का जिक्र करते हुए, उन्होंने प्रस्तुत किया कि स्थिति अस्थिर थी और पुलिस ने इसे रोकने के लिए अपनी पूरी कोशिश की।

इसके जवाब में बेंच ने कहा था, ''हालात भड़काने के लिए कौन जिम्मेदार है? अगर आपके तर्क को स्वीकार करना है, तो आपको यह देखना होगा कि इस पूरी स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार है।”

मामला संख्या - डब्ल्यूपीएसटी/21880/2022

केस टाइटल- संदीप कुडाले बनाम महाराष्ट्र राज्य


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