"पांच साल में मेंटल हेल्थ अथॉरिटी ने कोई प्रगति नहीं की" : बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को तलब किया

Update: 2022-12-26 05:37 GMT

Bombay High Court

बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र मेंटल हेल्थ अथॉरिटी के काम नहीं करने और उदासीन रवैये से नाराज होकर हाल ही में राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव और अथॉरिटी के सीईओ को अदालत में अगली सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने का निर्देश दिया।

जस्टिस एनजे जमादार और जस्टिस गौरी गोडसे की खंडपीठ ने कहा,

"... पिछले लगभग पांच वर्षों से अथॉरिटी द्वारा कोई प्रगति हासिल नहीं की गई। इसलिए हमने सीनियर एडवोकेट जेपी सेन को एमिक्स क्यूरी नियुक्त किया।"

अदालत ने सरकारी वकील द्वारा बताए गए राज्य के निर्देशों की कमी पर कड़ी आपत्ति जताई। यहां तक कि स्टेट मेंटल हेल्थ अथॉरिटी का गठन करने वाले 20 अक्टूबर, 2018 के सरकारी प्रस्ताव की प्रति भी उन्हें प्रस्तुत नहीं की गई है।

पीठ ने कहा,

"कम से कम प्रतियां पेश की जानी चाहिए थीं। उक्त सरकारी प्रस्ताव ने संकेत दिया होगा कि जब अथॉरिटी का गठन किया गया तो उसके लिए क्या आदेश था।"

पीठ डॉक्टर हरीश शेट्टी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसका प्रतिनिधित्व एडवोकेट प्रणति मेहरा ने 2017 के मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम के गैर-कार्यान्वयन के खिलाफ किया, विशेष रूप से मेटल हेल्थ सुविधाओं में रोगियों की स्थिति का नियमित रूप से आकलन करने के लिए बोर्ड के संबंध में यह पता लगाने के लिए कि क्या उन्हें वापस समाज में आत्मसात किया जा सकता है।

इस सप्ताह की शुरुआत में अदालत ने राज्य द्वारा प्रस्तुत प्रगति रिपोर्ट पर असंतोष व्यक्त किया। यह नोट किया गया कि हालांकि अथॉरिटी 2018 में स्थापित किया गया, लेकिन यह गैर-कार्यात्मक बना हुआ है।

अथॉरिटी ने चार वार्षिक बैठकें आयोजित नहीं कीं और वास्तव में 2018 के बाद से केवल पांच बैठकें आयोजित कीं। अदालत ने कहा कि इस सितंबर में निर्दिष्ट बैंक खाते के साथ धन की कमी थी।

कोर्ट ने आगे कहा,

"सांविधिक कोष, जो राज्य सरकार द्वारा किए गए योगदान से गठित किया गया है, उसके पास कोई कोष नहीं है। कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं रखा गया कि कब राशि को निधि में स्थानांतरित किया जाएगा।"

अथॉरिटी द्वारा भविष्य में की जाने वाली गतिविधियों के संबंध में अदालत ने कहा कि प्रमुख सचिव द्वारा दी गई समय-सीमा संतोषजनक नहीं है।

कोर्ट ने कहा,

"यह केवल स्कूलों और मेडिकल कैंप के दौरे और वाहनों को किराए पर लेने, कार्यालय व्यय, अनुवाद आदि की सभी लिपिक गतिविधियों के लिए संदर्भित करता है। वहीं इसमें अधिनिमय की धारा 29, 30, 31 और धारा 32 के तहत दायित्वों का कोई संदर्भ नहीं है।

कोर्ट ने आगे आश्चर्य जताया कि 15 दिसंबर, 2022 को स्टेट मेंटल हेल्थकेयर अथॉरिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति के लिए सरकारी प्रस्ताव क्यों जारी किया गया, अगर अथॉरिटी पहले से ही अस्तित्व में है।

कोर्ट ने मुख्य सचिव को स्टेट मेंटर अथॉरिटी द्वारा आयोजित होने वाली अगली बैठक में उपस्थित रहने और शिकायतों को दूर करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने कहा,

"इन तथ्यों के आलोक में हम निर्देश देते हैं कि स्टेट मेंटर अथॉरिटी 9 जनवरी, 2023 से पहले बैठक करेगा, जिसमें हमारे द्वारा ऊपर उठाए गए सभी मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अथॉरिटी द्वारा पिछले लगभग पांच वर्षों से कोई प्रगति नहीं हुई है, हम महाराष्ट्र राज्य के मुख्य सचिव से उक्त बैठक में भाग लेने का अनुरोध करते हैं ताकि हमारे द्वारा उजागर किए गए मुद्दों को संबोधित किया जा सके और उनको हल किया जा सके। अधिनियम की धारा 52 के अनुसार, मुख्य सचिव स्टेट मेंटल हेल्थकेयर अथॉरिटी के योगदान के प्रश्न पर भी विचार करेंगे।"

मामले की सुनवाई अब 12 जनवरी, 2023 को होगी।

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