CPI (M) को गाजा नरसंहार की निंदा करते हुए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति मिली
बॉम्बे हाईकोर्ट ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) को गाजा में जारी नरसंहार की निंदा करने के लिए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति दी।
जस्टिस रवींद्र घुगे और जस्टिस गौतम अंखड की खंडपीठ ने मुंबई पुलिस के इस बयान को स्वीकार कर लिया कि विरोध प्रदर्शन मुंबई में प्रदर्शनों के लिए निर्धारित स्थल आज़ाद मैदान में होगा।
गौरतलब है कि यह दूसरी बार है जब माकपा ने गाजा में नरसंहार के विरोध में अनुमति मांगने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, क्योंकि मुकदमेबाजी के अपने पहले दौर में जस्टिस रवींद्र घुगे और गौतम अंखड की खंडपीठ ने पार्टी की आलोचना की थी कि वह भारत के नागरिकों को प्रभावित करने वाले मुद्दों को नहीं उठा रही है। इसके बजाय हजारों मील दूर हो रहे झगड़ों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
वास्तव में खंडपीठ ने पार्टी से 'देशभक्त' बनने का आह्वान किया था यह रेखांकित करते हुए कि केवल गाजा के लिए बोलना देशभक्ति नहीं है।
अपनी याचिका में माकपा ने कहा कि वह 19 जून, 15 जुलाई और 31 जुलाई को पारित आदेशों के माध्यम से आवेदनों को खारिज करने में पुलिस अधिकारियों की मनमानी और अन्यायपूर्ण कार्रवाई से व्यथित है।
पुलिस ने याचिकाकर्ता पक्ष को गाजा के लोगों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए आज़ाद मैदान में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन और सभा करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया, जो वर्तमान में नरसंहार और मानवीय सहायता में रुकावट का सामना कर रहे हैं और फिलिस्तीन में युद्धविराम की घोषणा करने के अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हैं।
याचिकाकर्ताओं ने इस याचिका के माध्यम से अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की कि वे उन्हें गाजा में चल रहे नरसंहार की निंदा करने के लिए आज़ाद मैदान में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति दें।