मालवानी बिल्डिंग ढहने का मामला: बॉम्बे हाईकोर्ट ने परिवार के 9 सदस्य खोने वाले मालिक को जमानत दी

Update: 2022-08-13 04:43 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई के मालवानी इलाके में इमारत के मालिक को जमानत दे दी। उक्त इमारत पिछले साल गिर गई थी। इस हादसे में इमारत के मालिक के परिवार के 9 सदस्यों की मौत हो गई थी।

जस्टिस भारती डांगरे ने इस महीने की शुरुआत में मोहम्मद रफीक सिद्दीकी को जमानत देते हुए कहा,

"आवेदक को किसी भी मामले में जल्दबाजी और लापरवाही के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप इमारत गिरी। उसने खुद अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया है। उसे मुकदमे के परिणामों का सामना करना पड़ सकता है, जब अभियोजन पक्ष उसे गंभीर और लापरवाही कृत्य से जोड़ देगा। हालांकि, वर्तमान में अपराध की प्रकृति और अभियोजन पक्ष द्वारा एकत्र किए गए साक्ष्य और आरोप को देखते हुए आवेदक को हिरासत में नहीं रखा जा सकता। उसे जमानत पर रिहा किया जाता है।"

मुंबई के पश्चिमी उपनगर मलाड में पिछले साल 10 जून को ग्राउंड प्लस दो मंजिला ढांचा ढह गया था। इसमें 11 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें से 8 बच्चे थे। अपनी जान गंवाने वाले 12 लोगों में से 9 सिद्दीकी के परिवार के थे। सिद्दीकी के परिवार में मरने वालों में उसकी पत्नी, उनके भाई और भाई की पत्नी और छह नाबालिग बच्चे थे।

लापरवाही से मौत और गंभीर रूप से घायल करने से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई। ठेकेदार रमजान नबी शेख को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया। शेख की जमानत अर्जी पिछले साल जुलाई में आरोप की गंभीरता और आरोप पत्र में संकलित सामग्री के आधार पर खारिज कर दी गई। इसमें दिखाया गया कि वह इमारत के निर्माण के लिए जिम्मेदार था, जो घटिया गुणवत्ता का पाया गया।

सिद्दीकी ने पिछले साल नौ अगस्त को आरोप पत्र दाखिल करते समय आत्मसमर्पण किया कर दिया, तब से वह हिरासत में है। पिछले साल एक बार उसकी जमानत अर्जी खारिज हो गई थी।

सिद्दीकी की ओर से पेश एडवोकेट मुबीन सोलकर ने हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि इमारत में निसर्ग चक्रवात के कारण दरारें पड़ी थीं। सिद्दीकी ने इसके संज्ञान में लाए जाने के तुरंत बाद मरम्मत का काम करवाया था।

जस्टिस डांगरे ने इस पहलू पर कहा,

"इस संबंध में मोहम्मद जुनैद मोहम्मद जावेद सिद्दीकी के बयान को चार्जशीट में दर्ज किया गया। मुनीर शेख (शिकायतकर्ता) का बयान भी इसी तरह की तर्ज पर है, जहां उसने कहा कि जब उक्त मकान के आवेदक/कब्जे को मकान में दरारों के बारे में बताया गया तो उसने उससे कहा कि इसे ठीक किया जाए। उसने पुष्टि की कि भवन स्थिर है।"

अदालत ने 25,000 रुपये के पीआर बांड और इतनी ही राशि के एक या दो जमानतदारों प्रस्तुत करने पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।

इसके साथ ही कोर्ट ने उसे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मामले के तथ्यों से परिचित किसी भी व्यक्ति को कोई प्रलोभन, धमकी या वादा नहीं करने का निर्देश दिया गया, ताकि उसे अदालत या किसी पुलिस अधिकारी को तथ्यों का खुलासा करने से रोका जा सके और सबूतों के साथ छेड़छाड़ न की जा सके। उन्हें तिमाही के पहले सोमवार को संबंधित पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करने के लिए भी कहा गया।

केस टाइटल: मोहम्मद रफीक मोहम्मद सलीम सिद्दीकी बनाम महाराष्ट्र राज्य

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