बताएं कि कैसे नवी मुंबई हवाई अड्डे के पास की इमारतों की ऊंचाई सीमा बढ़ाने का एएआई का निर्णय अवैध है: बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा

Update: 2022-08-30 06:52 GMT

बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने सोमवार को याचिकाकर्ता से यह बताने को कहा कि कैसे एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) का आगामी नवी मुंबई एयरपोर्ट के पास इमारतों की अधिकतम अनुमेय ऊंचाई बढ़ाने का फैसला कानून का उल्लंघन है।

अदालत ने कहा,

"अगर उल्लंघन होता है तो हम उल्लंघन का समाधान करेंगे।"

इसके साथ ही याचिकाकर्ता को वैधानिक उल्लंघनों की ओर इशारा करते हुए हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया गया।

चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एम.एस. कार्निक एडवोकेट यशवंत शेनॉय द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें हवाई अड्डों के पास निर्माण के संबंध में एएआई, सिडको और डीजीसीए द्वारा अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानदंडों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।

चीफ जस्टिस दत्ता ने कहा,

"आपको अपना मामला बनाना होगा कि क़ानून प्रेस नोट में निर्णय की अनुमति नहीं देता है। यदि आप निर्णय को चुनौती देना चाहते हैं तो उचित कथन होना चाहिए।"

अदालत ने यह बात तब कही जब शेनॉय ने कहा कि ऊंची इमारतों के निर्माण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) 12 साल से अधिक वैध नहीं हो सकता है। हालांकि, नवी मुंबई हवाई अड्डे के पास सबसे ऊंची इमारत 111 मीटर ऊंची है और 2008 में इनके लिए एनओसी दी गई थी।

शेनॉय ने कहा,

"अब कौन ध्वस्त करने वाला है? एक बाधा हमेशा बाधा होती है। सिर्फ इसलिए कि एएआई अनुमति दे रहा है तो इसका मतलब यह नहीं कि यह बाधा नहीं है।"

उन्होंने आगे इस दुविधा की ओर इशारा किया कि अनुमेय सीमा से ऊपर की इमारत का केवल हिस्सा अवैध है, लेकिन बाकी कानूनी है।

इससे पहले अदालत ने जब सिडको ने प्रेस-नोट प्रकाशित किया तो एएआई से एनओसी का ब्योरा मांगा। इसमें आगामी हवाईअड्डे के पास ऊंची इमारतों के निर्माण के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए।

एएआई ने अदालत को सूचित किया कि उसने विमान अधिनियम के तहत नियमों के अनुसार 123 लंबित आवेदनों में से 104 एनओसी प्रदान किए हैं।

अदालत ने शेनॉय को निर्देश दिया कि वह अधिकतम अनुमेय ऊंचाई 55.10 मीटर से बढ़ाकर 160 मीटर करने के निर्णय में वैधानिक उल्लंघन दिखाने के लिए "बेहतर हलफनामा" दायर करें और मामले को 29 सितंबर को सूचीबद्ध किया।

चीफ जस्टिस दत्ता ने हवाई अड्डे के निर्माण की समयसीमा के संबंध में आदेश पारित करने के बाद मौखिक टिप्पणी की।

उन्होंने कहा,

"जो बात हमें चौंका रही है वह यह है कि हमने सोचा था कि हवाईअड्डा इमारतों से पहले बनाया गया।"

जस्टिस एम.एस. कार्णिक ने पूछा,

"विकास हवाईअड्डे की वजह से हो रहा है या हवाईअड्डा विकास की वजह से अटका हुआ है?"

चीफ जस्टिस दत्ता ने आगे कहा कि विशेषज्ञ के लिए बेहतर होगा कि वह अदालत में आकर मामले को सरल शब्दों में समझाए। याचिकाकर्ता की प्रस्तुतियां किसी अन्य विशेषज्ञ द्वारा सुदृढ़ की जानी चाहिए।

अदालत ने इससे पहले डीजीसीए से छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के पास के ढांचों का ब्योरा देने को कहा, जिन्हें हटाने की जरूरत है।

डीजीसीए ने कहा कि कुछ अवैध झोपड़ियां बाधाओं के रूप में हैं, जो लगातार बदल रही हैं। डीजीसीए यह निर्धारित करने पर काम कर रहा है कि क्या उन्हें हटाना अवैध है।

चीफ जस्टिस दत्ता ने कहा,

"झोपड़ी और ऊंची इमारतों के बीच क्या अधिक महत्वपूर्ण है? आप झोपड़ी में रहने वालों को क्यों निशाना बना रहे हैं?"

केस टाइटल: यशवंत शेनॉय बनाम द यूनियन ऑफ इंडिया

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