क्वारंटीन सुविधा के लिए फ्लैटों के अधिग्रहण का मामला : तीसरे पक्ष का हित बनने के कारण बाॅम्बे हाईकोर्ट ने डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर का आदेश रद्द किया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने ठाणे जिला कलेक्टर के उस आदेश को रद्द या खारिज कर दिया है,जिसके तहत COVID19 क्वारंटीन सुविधा के लिए अंबरनाथ शहर में स्थित दो इमारतों में 84 फ्लैटों का अधिग्रहण किया गया था। हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि इस मामले में जिला कलेक्टर दो सप्ताह में नए सिरे से फैसला लें क्योंकि फ्लैट खरीदारों को अधिकार पत्र जारी किए जा चुके हैं।
जस्टिस एन एम जामदार और जस्टिस अभय आहूजा की पीठ ने कहा कि नगर परिषद, अंबरनाथ ने 13 जून को इन इमारतों के डेवलपर को एक पत्र भेजा था। जिसमें इन इमारतों के फ्लैटों के अधिग्रहण करने के मामले में उनका जवाब मांगा था। साई ऐशरे डेवलपर्स ने 17 जून को नगर परिषद को सूचित किया था कि फ्लैटों को तीसरे पक्ष को बेचा जा चुका है और उनको अधिकार पत्र या पजेशन लैटर जारी किए जा चुके हैं। इसलिए अब इन फ्लैटों पर कब्जा देना संभव नहीं है। उसके बावजूद 25 जून को कलेक्टर ने उक्त आदेश पारित कर दिया।
पीठ ने कहा कि-
''कलेक्टर ने उक्त आदेश में,परिसर की आवश्यकता के लिए नगर परिषद की तरफ से किए गए अनुरोध को संदर्भित किया और आदेश पारित कर दिया। इस आदेश में इस बात का कोई संदर्भ नहीं है कि फ्लैट मालिकों के हक में तीसरे पक्ष के अधिकार का सृजन हो चुका है।''
पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह स्पष्ट है कि जब कलेक्टर ने उक्त आदेश पारित किया था,उस समय उन्हें सही तथ्यात्मक स्थिति से अवगत नहीं कराया गया था। इसलिए, उक्त आदेश सही तथ्यों पर आधारित नहीं है।
न्यायालय ने कहा कि, ''जब अधिग्रहण का आदेश पारित किया जाएगा तो उस समय कलेक्टर को यह भी तय करना होगा कि परिसर का अधिग्रहण करने पर फ्लैटों में बन चुके तीसरे पक्ष के अधिकारों के परिणाम क्या होंगे?''
इसप्रकार ,पीठ का विचार था कि उक्त आदेश को रद्द करना होगा और कलेक्टर को नए सिरे से निर्णय लेना होगा। जिसमें याचिकाकर्ताओं द्वारा रिकॉर्ड पर लाई गई उस तथ्यात्मक स्थिति का भी ध्यान रखना होगा,जो पूर्व में कलेक्टर के समक्ष नहीं लाई गई थी।
पीठ ने पाया कि प्रतिवादी कलेक्टर ने उक्त आदेश के अनुसार कुछ कदम उठाए भी हैं, परंतु इस स्तर पर पीठ ने उनमें हस्तक्षेप करने की इच्छा नहीं दिखाई और यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा है। साथ ही कहा कि कलेक्टर को कानून के अनुसार निर्णय लेने की आवश्यकता है।
हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि उन्होंने इन इमारतों में फ्लैट खरीदे हैं और उनको पजेशन लैटर भी दे दिए गए हैं। जिनमें कहा गया है कि वह उस भूमि के मालिक हैं,जहां पर इमारतें स्थित हैं। उन्होंने विभिन्न आधारों पर प्रतिवादी कलेक्टर की कार्रवाई को चुनौती दी है। कलेक्टर की कार्रवाई को मुख्य रूप से इस आधार पर चुनौती दी गई है कि कलेक्टर ने सिर्फ अम्बरनाथ की नगर परिषद से मिली सूचना के आधार पर कार्रवाई की है। जबकि निगम की तरफ से दी गई सूचना में सही तथ्यों का खुलासा नहीं किया गया था।