भीमा कोरेगांव : बॉम्बे हाईकोर्ट ने गौतम नवलखा को जमानत देने से इनकार करने वाला विशेष अदालत का "गूढ़" आदेश खारिज किया, नए सिरे से फैसला करने का निर्देश दिया

Update: 2023-03-02 11:37 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को विशेष एनआईए अदालत को मामले की नए सिरे से सुनवाई करने और फैसला करने का निर्देश दिया। अदालत ने यह देखा कि निचली अदालत ने भीमा कोरेगांव के आरोपी गौतम नवलखा की जमानत याचिका को खारिज करते हुए अप्रकट तर्क (Cryptic Order) दिया था। इसके मद्देनज़र हाईकोर्ट ने एनआईए अदालत को मामले की नए सिरे से सुनवाई करने और फैसला करने का निर्देश दिया।

जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस पीडी नाइक की खंडपीठ ने नवलखा की जमानत याचिका खारिज करने वाले विशेष एनआईए अदालत का आदेश खारिज कर दिया।

खंडपीठ ने कहा,

“ ट्रायल कोर्ट ने ज़मानत अर्जी को खारिज करते हुए UAPA की धारा 43D(5) के तहत आवश्यक तर्क नहीं दिया है। आदेश में जो तर्क दिया गया है वह बहुत ही अप्रकट है और इसका कोई विश्लेषण नहीं है। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने उक्त तथ्य को निष्पक्ष रूप से स्वीकार किया और प्रस्तुत किया कि जमानत अर्जी को ट्रायल कोर्ट में भेज दिया जाए। हमारी टिप्पणियों के मद्देनजर मामले को नए सिरे से सुनवाई के लिए ट्रायल कोर्ट में वापस भेज दिया जाए।”

हाईकोर्ट ने एनआईए कोर्ट को निर्देश दिया कि वह जमानत खारिज करने के पहले के आदेश से प्रभावित हुए बिना चार सप्ताह के भीतर मामले को समाप्त करे। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसने योग्यता के आधार पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

नवलखा वर्तमान में नजरबंद हैं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें विभिन्न शर्तों के अधीन एक महीने के लिए उनकी मेडिकल स्थिति के कारण जेल से हाउस अरेस्ट में स्थानांतरित करने की अनुमति दी थी।

एनआईए की एक विशेष अदालत ने 5 सितंबर, 2022 को नवलखा की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। 73 वर्षीय मानवाधिकार कार्यकर्ता अगस्त 2018 से हिरासत में हैं।

विशेष अदालत ने नोट किया था कि एनआईए ने विशेष रूप से आरोप लगाया था कि अपराध में नवलखा की सांठगांठ थी। विशेष न्यायाधीश राजेश कटारिया ने कहा था कि चार्जशीट में यह दिखाने के लिए पर्याप्त सामग्री है कि नवलखा अपराध से जुड़े हुए हैं।

नवलखा पर आईपीसी की धारा 153(ए), 505(1)(बी), 117, 120(बी), 121, 121(ए), 124(ए) और 34 और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 13, 16, 17, 18, धारा 18(ए), 18(बी), 20, 38, 39 और धारा 40 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

नवलखा पर प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के एजेंडे को आगे बढ़ाने और सरकार को गिराने की साजिश रचने का आरोप है। एनआईए ने उन पर 1 जनवरी, 2018 को पुणे में युद्ध स्मारक स्थल भीमा कोरेगांव में भड़की जातिगत हिंसा को भड़काने का भी आरोप लगाया है।

चार्जशीट में एनआईए ने आरोप लगाया है कि नवलखा सीपीआई (माओवादी) के सदस्य थे और उनके पास इससे संबंधित आपत्तिजनक दस्तावेज थे। एनआईए ने यह भी आरोप लगाया कि नवलखा ने कश्मीर अलगाववादी आंदोलन का समर्थन किया था।

एनआईए ने विशेष अदालत के समक्ष यह भी आरोप लगाया था कि तथ्य-खोज मिशन की आड़ में नवलखा सक्रिय शहरी कैडरों और भाकपा (माओवादी) के भूमिगत नेताओं के बीच नियुक्तियों और बैठकों को तय करने में सक्रिय रूप से शामिल थे।

केस टाइटल- गौतम नवलखा बनाम राष्ट्रीय जांच एजेंसी

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