उड़ीसा में बेंच और बार के बीच संबंध बेहतर हुए हैं : जस्टिस डॉक्टर एस. मुरलीधर
उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. जस्टिस एस. मुरलीधर ने सोमवार सुबह आखिरी बार अपने न्यायालय की अध्यक्षता की, क्योंकि वह सेवानिवृत्ति हो रहे हैं। उन्होंने न्यायालय के नामित मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुभासिस तालापात्रा के साथ बेंच साझा की।
सुनवाई के लिए सेरेमोनियल बेंच के समक्ष तीन जनहित याचिकाएं (पीआईएल) सूचीबद्ध की गईं, जिनमें से दो मामले पर्यावरणीय मुद्दों से संबंधित थे और उन्हें वापस लेने की अनुमति दी गई और याचिकाकर्ताओं को इसके बजाय राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) से संपर्क करने की सलाह दी गई।
सुनवाई लगभग तीन मिनट के भीतर पूरी हो गई जिसके बाद कुछ वकीलों ने अपना विदाई संदर्भ दिया।
ओडिशा राज्य के पूर्व एडवोकेट जनरल और सीनियर एडवोकेट सूर्य प्रसाद मिश्रा ने राज्य न्यायपालिका के डिजिटलीकरण में क्रांति लाने की पहल के लिए मुख्य न्यायाधीश की सराहना की और कहा कि बार के लिए उनका बड़ा योगदान' रहा।
जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि हाईकोर्ट और जिला दोनों स्तरों पर बेंच और बार के बीच संबंध काफी बेहतर हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ओडिशा बार में काफी संभावनाएं हैं और कई युवा वकील बहुत अच्छा काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा,
“उनके सामने अनुकरण करने के लिए रोल-मॉडल हैं। महिला वकील बहुत अच्छा काम कर रही हैं। मुझे यह अवश्य बताना चाहिए कि विशेष रूप से, उम्र की परवाह किए बिना वे बहुत अच्छा कर रहे हैं, बहुत कड़ी मेहनत कर रहे हैं। यहां बार का भविष्य बहुत उज्ज्वल दिख रहा है।''