Bareilly Violence | हाईकोर्ट ने पुलिस फोर्स पर एसिड अटैक और फायरिंग के आरोपों वाली FIR रद्द करने से किया इनकार

Update: 2025-11-20 05:13 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते सितंबर 2025 के बरेली हिंसा मामले में FIR रद्द करने की मांग वाली रिट पिटीशन को मंज़ूरी देने से मना कर दिया। इस मामले में आरोप है कि पुलिस फोर्स पर भीड़ ने ईंट-पत्थरों, पत्थरों और एसिड की बोतलों से हमला किया।

हालांकि, जस्टिस अजय भनोट और जस्टिस गरिमा प्रसाद की बेंच ने यह कहते हुए पिटीशन का निपटारा कर दिया कि पिटीशनर सलाह के मुताबिक दूसरे कानूनी उपाय अपना सकता है।

बेंच असल में हिंसा मामले में आरोपी अदनान की फाइल की गई पिटीशन पर विचार कर रही थी।

एडिशनल एडवोकेट जनरल अनूप त्रिवेदी ने AGA पारितोष मालवीय की मदद से ज़ोर देकर कहा कि पुलिस फोर्स, जो कानून और व्यवस्था लागू कर रही है, पर हमला राज्य की अथॉरिटी और कानून के राज के लिए एक बड़ा खतरा है।

बेंच का ध्यान आरोपों की गंभीरता की ओर दिलाया गया, जिसमें मौलाना तौकीर रज़ा के जमावड़े की अपील के बाद पुलिसवालों पर एसिड की बोतलों, ईंटों और हथियारों से हमला करना शामिल था।

संक्षेप में मामला

पिटीशनर ने हाई कोर्ट में अर्जी देकर FIR रद्द करने के लिए सर्टिओरारी रिट मांगी, जिसमें BNS के तहत सेक्शन 191(2), 191(3), 190, 124(2), 121, 125, 352, 351(3), 109, 299 और 223 जैसे कड़े नियम लागू किए गए।

प्रॉसिक्यूशन के केस के अनुसार, 26 सितंबर को मौलाना तौकीर रज़ा ने एक खास कम्युनिटी के लोगों को बरेली के इस्लामिया इंटर कॉलेज में जमा होने की अपील की थी। BNSS की 163 के तहत रोक के आदेश लागू होने के बावजूद, लगभग 200-250 लोगों की भीड़ जमा हो गई, जो मौलाना आज़ाद इंटर कॉलेज से श्यामगंज चौराहे की ओर बढ़ रही थी।

भीड़ बोर्ड पकड़े हुए थी और भड़काऊ नारे लगा रही थी। भीड़ ने मौके पर मौजूद पुलिसवालों की चेतावनी और समझाने पर कोई ध्यान नहीं दिया। मामला तब और बिगड़ गया जब आरोपी लोग गुस्से में आ गए और आगे बढ़ने पर अड़ गए।

इसके बाद कथित तौर पर भीड़ में मौजूद आरोपियों ने पुलिस फोर्स पर ईंट-पत्थर और एसिड की बोतलें फेंकी और भीड़ ने पुलिसवालों पर गोलियां भी चलाईं।

FIR के अनुसार, इसके बाद हुई हिंसा में पुलिसवालों के कपड़े फट गए और दो ऑफिसर घायल हो गए।

आरोपों में यह भी कहा गया कि भीड़ की गुस्से वाली हरकतों से इलाके में डर का माहौल बन गया, जिससे पुलिस अधिकारियों को भीड़ को समझाने में नाकाम रहने के बाद खुद के बचाव में गोली चलानी पड़ी। राज्य ने कहा कि इस तरह के अपराधों के कई तरह के असर हो सकते हैं और अगर कानून के हिसाब से उनसे निपटा नहीं गया तो वे पब्लिक सेफ्टी और ऑर्डर के लिए खतरा बन सकते हैं। पहली नज़र में याचिकाकर्ता के खिलाफ अपराध का पता चलता है।

राज्य ने हरियाणा राज्य बनाम भजन लाल और नीहारिका इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड बनाम महाराष्ट्र राज्य में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसलों पर बहुत ज़्यादा भरोसा किया और कहा कि इस स्टेज पर कोई भी अंतरिम राहत जांच में रुकावट डाल सकती है।

इन फैसलों को देखते हुए याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील अंसार अहमद ने कोर्ट में कहा कि याचिकाकर्ता FIR रद्द करने के लिए राहत पर ज़ोर नहीं देना चाहता है।

इसलिए रद्द करने के लिए मांगी गई राहत को मना कर दिया गया।

हाईकोर्ट ने रिट याचिका का निपटारा कर दिया और याचिकाकर्ता को कानून के तहत मौजूद सही उपायों के लिए सक्षम कोर्ट में जाने की आज़ादी दी।

Case title - Adnan vs. State Of U.P. And 2 Others

Tags:    

Similar News