मौद्रिक विवादों में जमानत कार्यवाही को वसूली कार्यवाही में नहीं बदला जा सकता: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

Update: 2023-12-11 06:59 GMT

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दोहराया कि जमानत कार्यवाही का उपयोग मौद्रिक विवादों में वसूली के साधन के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने उक्त टिप्पणी यह मानते हुए की कि धन की वसूली का मुद्दा एक नागरिक मामला है और इसे उचित कानूनी चैनलों के माध्यम से संबोधित किया जाना चाहिए, न कि आपराधिक कार्यवाही में।

जस्टिस राकेश कैंथला ने आरोपियों/याचिकाकर्ताओं की जमानत याचिकाओं को अनुमति देते हुए कहा,

“.. जमानत की कार्यवाही का उपयोग शिकायतकर्ता द्वारा अग्रिम राशि की वसूली के लिए नहीं किया जा सकता। स्टेटस रिपोर्ट से यह प्रतीत होता है कि सूचना देने वाले ने गीता के माध्यम से सोने में पैसा निवेश किया, लेकिन उसने अलग संस्करण पेश किया कि उसने गीता को पैसे अग्रिम मदद रूप से दिया था। यदि पैसा सहायता के रूप में दिया गया और वापस नहीं किया जा रहा है तो यह नागरिक दायित्व को पैदा करेगा, न कि आपराधिक दायित्व को।''

इस मामले में सूचक ने याचिकाकर्ताओं पर उसे सोने की दुकान खोलने का लालच देने, सहमत सोने की आपूर्ति करने में विफल रहने और निवेश किए गए पैसे वापस नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने याचिकाकर्ता गीता को भूस्खलन में उसका घर ढह जाने के बाद वित्तीय सहायता दी थी। हालांकि, उसने पैसे वापस करने के बजाय इसे सोने में निवेश कर दिया।

जस्टिस कैंथला ने आरोपों की सावधानीपूर्वक जांच करने के बाद इस बात पर प्रकाश डाला कि पैसा मदद के रूप में दिया गया और आरोपी को नहीं सौंपा गया। इस बात पर जोर दिया गया कि इस स्तर पर प्रलोभन या प्रलोभन के आधार पर संपत्ति की डिलीवरी का कोई मामला स्थापित नहीं किया गया। इस प्रकार, याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी का अपराध प्रथम दृष्टया नहीं बनता।

यह देखते हुए कि शिकायतकर्ता और राज्य मुख्य रूप से जमानत कार्यवाही के माध्यम से धन की वसूली पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे, पीठ ने रमेश कुमार बनाम राज्य एनसीटी दिल्ली (2023) का संदर्भ दिया और कहा कि आपराधिक कार्यवाही विवादित बकाया की वसूली के लिए नहीं है।

टिप्पणियों के आलोक में अदालत ने जमानत आवेदनों को अनुमति दे दी, जिससे मामले के निपटारे तक अंतरिम जमानत आदेश पूर्ण हो गए। याचिकाकर्ताओं को अदालत द्वारा लगाए गए सभी नियमों और शर्तों का पालन करने का निर्देश दिया गया।

याचिकाकर्ताओं के वकील: विनोद चौहान और पवन गौतम

प्रतिवादी के वकील: डिप्टी एडवोकेट जनरल आरपी सिंह

केस टाइटल: गीता कश्यप बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य (और संबंधित मामला)

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