बहराइच अदालत का फैसला: आरजी मिश्र हत्याकांड में मुख्य आरोपी को फांसी, नौ को उम्रकैद

Update: 2025-12-12 12:53 GMT

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले की सत्र अदालत ने वर्ष 2024 के चर्चित राम गोपाल (आरजी) मिश्र हत्याकांड में आज सख्त फैसला सुनाते हुए मुख्य आरोपी सरफ़राज़ उर्फ़ रिंकू को फांसी की सज़ा और नौ अन्य दोषियों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई।

अदालत ने अपने विस्तृत निर्णय में इस घटना को मानवता को झकझोर देने वाली निर्ममता बताया और कहा कि दोषियों ने सिर्फ़ एक व्यक्ति की हत्या नहीं की बल्कि समाज की आस्था को भी घायल किया।

अतिरिक्त जिला एवं सत्र जज पवन कुमार शर्मा-II ने बुधवार को सभी दस आरोपियों को दोषी करार देते हुए कहा कि यह अपराध सामान्य हत्याओं की श्रेणी में नहीं आता।

शुक्रवार को सज़ा सुनाते वक्त न्यायालय ने इस मामले को दुर्लभ से दुर्लभतम बताया और कहा कि मुख्य आरोपी द्वारा प्रदर्शित क्रूरता ने दंड विधान की कठोरतम सज़ा की मांग की।

अदालत ने कठोर शब्दों में दोषियों को 'शैतान' और 'हैवान' के रूप में वर्णित करते हुए कहा कि उनकी हरकतों ने सामाजिक संरचना को विनाश के कगार पर ला खड़ा किया।

घटना 13 अक्टूबर, 2024 को उस समय हुई जब दुर्गा प्रतिमा विसर्जन का जुलूस महाराजगंज बाजार क्षेत्र से गुजर रहा था। जुलूस में बज रहे भजनों का विरोध करते हुए एक समुदाय के लोगों ने कथित तौर पर ध्वनि प्रणाली की तार काट दी, जिसके बाद विवाद बढ़कर हिंसक झड़प में बदल गया।

इसी दौरान भीड़ ने 22 वर्षीय राम गोपाल मिश्र को पकड़कर आरोपी अब्दुल हमीद के घर के अंदर ले जाकर बर्बरतापूर्वक पीटा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि मृतक को 7 से 8 गोलियां मारी गईं और शरीर पर 40 से अधिक चोटों के निशान थे।

अदालत ने इसे असाधारण अमानवीयता करार देते हुए कहा कि पीड़ित के पैरों की उंगलियां जलाकर नाखून तक उखाड़ दिए गए, जो किसी भी सभ्य समाज में अस्वीकार्य है।

इस घटना के बाद पूरे बहरेच में तनाव फैल गया था। बाजार बंद रहे प्रशासन को इंटरनेट सेवाएं निलंबित करनी पड़ीं और जिले में अनौपचारिक कर्फ्यू जैसी स्थिति बन गई।

अदालत ने इसे समाज के लिए गहरे सदमे वाली घटना बताते हुए कहा कि एक माह से अधिक समय तक अस्थिरता बनी रही, जिससे आम जनजीवन प्रभावित हुआ।

सज़ा तय करते समय न्यायालय ने यह भी उल्लेख किया कि मृतक की पत्नी जिनका विवाह घटना से केवल चार महीने पहले हुआ था,आजीवन मानसिक और सामाजिक आघात झेलने के लिए मजबूर हैं।

जज ने मनुस्मृति का हवाला देते हुए कहा कि दंड ही समाज की रक्षा करता है और ऐसे अपराधों में अनावश्यक सहानुभूति न्याय की भावना को आहत करती है।

सरफ़राज़ उर्फ़ रिंकू को भारतीय न्याय संहिता की धारा 103(2) के तहत फांसी की सज़ा सुनाई गई है, जिसकी पुष्टि अब इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा की जाएगी। बाकी नौ दोषियों को उम्रकैद और प्रत्येक को एक लाख रुपये के जुर्माने की सज़ा दी गई।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इन दोषियों ने जिस तरह की क्रूरता दिखाई, उसके मद्देनज़र समाज में न्याय व्यवस्था पर भरोसा कायम रखने के लिए कठोर दंड देना आवश्यक था।


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