बाबरी विध्वंस मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई और राज्य सरकार को बरी करने के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर आपत्ति दर्ज करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को सीबीआई और राज्य सरकार को लखनऊ में विशेष सीबीआई अदालत के आदेश के खिलाफ दायर आपराधिक अपील पर अपनी आपत्ति दर्ज करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया। इस अपील में सभी 32 व्यक्तियों को 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस की आपराधिक साजिश रचने के आरोप से बरी किया था।
आपराधिक पुनर्विचार याचिका के रूप में मूल में 2021 में दायर की गई याचिका को 18 जुलाई, 2022 को जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की पीठ द्वारा आपराधिक अपील के रूप में मानने का निर्देश दिया गया।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश एस के यादव (30 सितंबर, 2020 को दिए गए) के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई है। इसमें कहा गया कि मस्जिद को गिराना पूर्व नियोजित नहीं था। इसके पीछे कोई आपराधिक साजिश नहीं थी।
कोर्ट ने प्रमुख भाजपा नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह आदि सहित व्यक्तियों को बरी करने का फैसला दिया था।
यह याचिका अयोध्या के दो निवासियों हाजी महमूद अहमद और सैयद अखलाक अहमद ने दायर की है। उन्होंने 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचे को गिराए जाने का दावा किया था।
जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सरोज यादव की पीठ ने सोमवार को सीबीआई को याचिका पर अपनी आपत्ति दर्ज करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया और मामले को आगे की सुनवाई के लिए पांच सितंबर को सूचीबद्ध किया।
उल्लेखनीय है कि 18 जुलाई को जब एकल न्यायाधीश के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर की गई। सीनियर वकील सैयद फरमान अली नकवी ने प्रस्तुत किया कि अनजानी गलती से याचिकाकर्ताओं द्वारा पुनर्विचार याचिका दायर की गई, जो सीआरपीसी की धारा 372 में किए गए संशोधन को देखते हुए पीड़ित होने का दावा करते हैं। प्रभावी कार्य दिवस 31 दिसंबर 2009, याचिकाकर्ताओं की अपील को प्राथमिकता देनी चाहिए थी।
उनका आगे यह निवेदन था कि सीआरपीसी की धारा 401(5) के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह अदालत इस याचिका को याचिकाकर्ताओं की अपील के रूप में मान सकती है।
कोर्ट ने उक्त प्रस्तुतीकरण पर विचार करते हुए और सीबीआई के वकील शिव पी.शुक्ल और प्रतिवादी-राज्य के वकील विमल कुमार श्रीवास्तव को सुनने के बाद याचिका को सीआरपीसी की धारा 372 के तहत अपील के रूप में माना जाने का निर्देश दिया।
केस टाइटल - हाजी महबूब अहमद और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के माध्यम से गृह सचिव, लखनऊ और अन्य
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