"अधिकारियों ने वैवाहिक विवादों में गुंडा अधिनियम के तहत नोटिस जारी किया": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीएम/एडीएम/पुलिस द्वारा कानून के दुरुपयोग पर सरकार से जवाब मांगा

Update: 2021-09-07 09:47 GMT
Allahabad High Court expunges adverse remarks against Judicial Officer

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक वैवाहिक विवाद में उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण अधिनियम, 1970 के तहत एक व्यक्ति को कारण बताओ नोटिस जारी करने के मामले की सुनवाई करते हुए कानून के दुरुपयोग पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है।

न्यायमूर्ति सूर्य प्रकाश केसरवानी और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की पीठ एक शिव प्रसाद गुप्ता की आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसके खिलाफ उसकी पत्नी द्वारा दहेज निषेध अधिनियम की धारा ¾ और आईपीसी की धारा 498-ए, 354, 323, 504, 506 और 120-बी के तहत मामला दर्ज किया गया है।

इस आधार पर अपर जिलाधिकारी, सोनभद्र द्वारा उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण अधिनियम, 1970 की धारा 3(1) के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।

यह देखते हुए कि अधिनियम, 1970 की धारा 2 (बी) "गुंडा" शब्द को परिभाषित करती है, अदालत ने इस प्रकार टिप्पणी की,

"प्रथम दृष्टया, ऐसा प्रतीत होता है कि अधिनियम, 1970 की धारा 2 (बी) की कोई भी सामग्री नोटिस में मौजूद नहीं है। इस प्रकार प्रथम दृष्टया नोटिस अधिकार क्षेत्र के बिना जारी किया गया प्रतीत होता है।"

न्यायालय ने इस पृष्ठभूमि में कहा,

"हम यह देखने के लिए विवश हैं कि अब अधिकारियों ने वैवाहिक विवाद से संबंधित मामलों में अधिनियम, 1970 के तहत नोटिस जारी करना शुरू कर दिया है, जो प्रथम दृष्टया अधिकारियों की ओर से एक शरारती कार्य प्रतीत होता है।"

न्यायालय ने पूर्वोक्त के मद्देनजर प्रतिवादियों को अपने व्यक्तिगत हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें उन मामलों में अधिनियम, 1970 के प्रावधानों के तहत कार्यवाही शुरू करने के कारण बताया जाना है, जहां वैवाहिक विवाद से उत्पन्न होने वाली पहली सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई है।

इसके अतिरिक्त, उत्तर प्रदेश राज्य को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया गया है जिसमें उत्तर प्रदेश के जिला मजिस्ट्रेटों/अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेटों/पुलिस द्वारा उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण अधिनियम, 1970 के इस तरह के दुरुपयोग की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताना है।

मामले को अब 9 सितंबर, 2021 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

केस टाइटल - शिव प्रसाद गुप्ता बनाम स्टेट ऑफ यू.पी. एंड 3 अन्य

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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