केरल हाईकोर्ट ने मानव क्रूरता का शिकार कुत्ते के श्रद्धांजलि के लिए स्वत: संज्ञान मामले का नाम बदलकर "इन रे ब्रूनो" रखा

Update: 2021-07-03 11:38 GMT

केरल हाईकोर्ट ने राज्य में पशु के अधिकारों की सुरक्षा के लिए शुरू की गई स्वत: संज्ञान कार्यवाही का नाम बदलकर इन रे: ब्रूनो (In Re Bruno) रखा। दरअसल, तीन युवाओं के अमानवीय कृत्यों का शिकार हुए असहाय कुत्ते की स्मृति में यह नाम रखा गया।

जस्टिस जयशंकरन नांबियार और जस्टिस पी गोपीनाथ की खंडपीठ ने रजिस्ट्री को राज्य में पशु कल्याण को बढ़ावा देने के लिए सुझावों का उपयोग करने के अलावा कुत्ते की याद में रिट का नाम बदलने का निर्देश दिया।

पीठ ने आदेश में कहा कि,

" हम रजिस्ट्री को इस रिट याचिका का नाम बदलकर इन रे: ब्रूनो (सू मोटो पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन प्रोसिडिंग्स, जो कि पशुओं के अधिकार राज्य सरकार की कार्यपालिका और विधायी निष्क्रियता के मामले में उच्च न्यायालय द्वारा शुरू की गई है) रखने का निर्देश देते हैं। हमें लगता है कि यह उस असहाय कुत्ते के लिए एक उचित श्रद्धांजलि होगी जो मानव क्रूरता के कृत्यों का शिकार हुआ और जिस घटना से परेशान होकर हमने ये कार्यवाही शुरू की है।"

पृष्ठभूमि

केरल उच्च न्यायालय ने जानवरों के प्रति क्रूरता के कथित मामलों में और जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम के मामले में राज्य की कार्रवाई की निगरानी के लिए स्वत: संज्ञान जनहित याचिका दर्ज की। इसके बाद क्रमशः केंद्र, राज्य और भारतीय पशु कल्याण बोर्ड को नोटिस जारी किए गए।

कोर्ट ने ऐसा तब किया जब न्यायमूर्ति जयशंकरन नांबियार ने सीजेआई को एक पत्र को संबोधित करते हुए तिरुवनंतपुरम में एक समुद्र तट पर एक कुत्ते की अमानवीय हत्या करने वाले तीन नाबालिगों की एक समाचार रिपोर्ट का संज्ञान लेने का आग्रह किया। हालांकि इस मामले में पुलिस मामला दर्ज किया गया है। पत्र में इस बात पर जोर दिया गया कि संबंधित मामलों में अभियोजन शायद ही कभी उद्देश्यपूर्ण और त्वरित है।

पत्र में व्यक्त की गई प्राथमिक चिंता यह है कि जानवरों की सुरक्षा के लिए भारतीय कानूनों की स्थापना अन्य सभी पर मानव प्रजातियों की श्रेष्ठता के आधार पर की गई है।

पत्र में कहा गया है कि अब समय आ गया है कि राज्य और उसके उपकरणों को जानवरों के अधिकारों की रक्षा के लिए सकारात्मक कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया जाए। इसने कई उदाहरणों पर विस्तार से बताया है, जहां न्यायपालिका ने जानवरों के कल्याण के लिए ऐसे अधिकारों को बरकरार रखा गया है।

कोर्ट का निर्देश

अदालत ने केरल राज्य पशु कल्याण राज्य (केएसएडब्ल्यूएस) को कुत्ते के मालिक ब्रूनो से मिली शिकायत पर अब तक की गई कार्रवाई के संबंध में अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।

अदालत ने अभियोजन महानिदेशक से इस मामले में अपना व्यक्तिगत ध्यान देने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि अपराध के अपराधियों पर मुकदमे के लिए आपराधिक न्याय प्रणाली के पहिये गति में हैं।

अदालत ने भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) को जानवरों के अधिकारों और उनके लिए आवश्यक कर्तव्यों और दायित्वों के बारे में नागरिकों को शिक्षित और संवेदनशील बनाने के लिए एक जागरूकता अभियान को लागू करने की दिशा में एक व्यवहार्य कार्य योजना तैयार करने के लिए कहा है।

अदालत ने कहा कि,

"हम मानते हैं कि इस संबंध में तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि जानवरों के कल्याण के लिए हमारे नागरिकों के रवैये में बदलाव लाया जा सके ताकि हाल के दिनों में मीडिया में रिपोर्ट की गई भयानक घटनाएं, भविष्य में फिर से न हों।"

न्यायालय ने राज्य सरकार को राज्य भर में पशु गोद लेने के शिविरों को बढ़ावा देने और आयोजित करने की संभावना का पता लगाने का आदेश दिया जो कि साल में कम से कम तीन बार के अंतराल पर हो, जहां व्यक्तियों को उनके मालिकों द्वारा छोड़े गए जानवरों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

कोर्ट ने इसके अलावा सरकार से राज्य भर में जिला प्रशासनों को जानवरों के अधिकारों के उल्लंघन और जानवरों के प्रति क्रूरता की शिकायतों की जांच करने की शक्ति के साथ-साथ ऐसे उदाहरणों का पता लगाने के लिए कहा, जहां व्यक्तियों को उनकी पसंद के पालतू जानवरों को रखने से रोका जाता है।

कोर्ट ने कहा कि हमारा एकमात्र प्रयास राज्य कार्यकारिणी को उन परिस्थितियों के प्रति सचेत करना है, जिस हद तक राज्य को संवैधानिक और वैधानिक दायित्वों के निर्वहन में कार्य करने की आवश्यकता होगी। हम मानते हैं कि अधिकारों का एक सार्थक प्रभाव केवल तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब सरकार की विभिन्न शाखाएं एक साथ काम करती हैं और इस तरह की कार्यवाही के दौरान हम इसी सहयोग की अपेक्षा करते हैं।

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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