अनुच्छेद 15(6) केवल कानूनी शक्तियां प्रदान करने वाला प्रावधान : केरल हाईकोर्ट ने हायर सेकेण्ड्री के नामांकन में 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण की मांग संबंधी पीआईएल खारिज की
केरल हाईकोर्ट ने हायर सेकेण्ड्री पाठ्यक्रम में वर्ष 2020-21 के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के छात्रों को 10 फीसदी कोटा आरक्षित करने के राज्य सरकार को निर्देश दिये जाने संबंधी एक जनहित याचिका खारिज करते हुए कहा है कि संविधान का अनुच्छेद 15(6) केवल कानूनी शक्ति प्रदान करने वाला प्रावधान है।
हालांकि केरल सरकार ने मंगलवार को अनारक्षित वर्ग में ईडब्ल्यूएस के छात्रों के लिए राजकीय हायर सेकेण्ड्री और व्यावसायिक हायर सेकेण्ड्री स्कूलों के विभिन्न बैचों में 10 प्रति सीटें आरक्षित करने का एक आदेश जारी कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाज़ी पी शेली की खंडपीठ ने 'समस्त नायर समाजम' की ओर से दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करते हुए कहा कि अनुच्छेद 15 का उपबंध (6) केवल एक ऐसा प्रावधान है, जो उपबंध (4) और (5) में उल्लेखित वर्गों से अलग आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के उत्थान के लिए विशेष प्रावधान करने का राज्य सरकार को शक्ति प्रदान करता है।
कोर्ट ने 'अजित सिंह एवं अन्य बनाम पंजाब सरकार एवं अन्य [(1999) 7 एससीसी 209]' के मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि चूंकि यह कानूनी शक्ति प्रदान करने वाला प्रावधान है, इसलिए यदि उन अनुच्छेदों में वर्णित परिस्थितियां मौजूद हैं तो सरकार को आरक्षण देने पर विचार करने का विशेषाधिकार है। बेंच ने कहा :
"केरल प्रांत में, केरल शिक्षा अधिनियम, 1958 नामक एक कानून है जिससे सरकारी और अन्य मान्यता प्राप्त संस्थानों में प्रवेश एवं नियुक्तियां संचालित की जाती हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने 103वें संविधान संशोधन के तहत समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण दिये जाने के लिए किसी विशेष प्रावधान का जिक्र नहीं किया है। उपरोक्त मामले में जैसा कहा गया है कि अनुच्छेद 15(6) केवल शक्ति समक्ष करने वाला प्रावधान है।"
कोर्ट ने यह कहते हुए पीआईएल खारिज कर दी कि याचिकाकर्ता एसोसिएशन ने प्रथमदृष्ट्या कोई आधार नहीं बनाया है जिससे राज्य सरकार को नोटिस जारी किया जा सके।
कानून क्या है?
अनुच्छेद 15(6) संविधान में 103वें संशोधन के जरिये लागू किया गया था। इसके प्रावधान इस प्रकार हैं:
(6) इस अनुच्छेद या अनुच्छेद 19 के उपबंध-एक के उपखंड (जी) या अनुच्छेद 29 के उपबंध (2) के प्रावधान सरकार को निम्न चीजों से नहीं रोक सकते :-
(ए) उपबंध (4) और (5) में उल्लेखित वर्गों के अलावा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के नागरिकों के उत्थान के लिए विशेष प्रावधान करने से नहीं रोक सकते, यदि ये विशेष प्रावधान निजी शैक्षणिक संस्थानों सहित विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश से संबंधित हों, चाहे ये संस्थान अनुच्छेद 30 के उपबंध (एक) में उल्लेखित अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों से इतर सरकार द्वारा वित्त पोषित हों या गैर-वित्त पोषित।"
गौरतलब है कि गत सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईब्ल्यूएस) के लिए 10 फीसदी आरक्षण के प्रावधान को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेज दिया था।