राजस्व रिकॉर्ड में प्रविष्टि के म्यूटेशन के लिए आवेदन संपत्ति पर बोझ नहीं बनाता: गुजरात हाईकोर्ट

Update: 2022-08-31 10:05 GMT

Gujarat High Court

गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने हाल ही में संपत्ति विवाद के लिए पक्षकार के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि राजस्व रिकॉर्ड में प्रविष्टि के म्यूटेशन के लिए संबंधित राजस्व प्राधिकरण के समक्ष आवेदन दाखिल करके रजिस्टर्ड बिक्री विलेख के संबंध में अदालत के यथास्थिति आदेश की जानबूझकर अवज्ञा की है।

जस्टिस विपुल पंचोली और जस्टिस एपी ठाकर की खंडपीठ ने कहा कि इस तरह के आवेदन से किसी भी तरह से संपत्ति के स्वामित्व और भार के संबंध में यथास्थिति का उल्लंघन नहीं होता।

कोर्ट ने कहा,

"प्रतिपक्षी ने न तो वाद की संपत्ति को हस्तांतरित किया है और न ही कोई बाधा उत्पन्न हुई है। सिर्फ इसलिए कि प्रतिद्वंद्वी ने राजस्व रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करने के लिए आवेदन किया, यह नहीं कहा जा सकता कि इस आदेश की जानबूझकर अवज्ञा की गई।"

'सुलोचना चंद्रकांत गलांडे बनाम पुणे म्यूनिसिपल ट्रांसपोर्ट एंड ओआरएस' मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया गया, जहां कहा गया कि भार संपत्ति पर शुल्क होना चाहिए और यह संपत्ति के साथ चलना चाहिए।

कोर्ट ने आगे कहा,

""एनकम्ब्रेन्स" का अर्थ वास्तव में मनुष्य के किसी कार्य या चूक के कारण होने वाला बोझ है, न कि प्रकृति द्वारा निर्मित। इसका अर्थ संपत्ति पर बोझ या शुल्क या भूमि पर दावा या ग्रहणाधिकार है। इसका मतलब संपत्ति पर कानूनी दायित्व है। इस प्रकार, यह स्वामित्व पर बोझ का गठन करता है, जो भूमि के मूल्य को कम करता है। यह बंधक या ट्रस्ट डीड सुखभोग का ग्रहणाधिकार हो सकता है। इस प्रकार उक्त भार संपत्ति पर शुल्क होना चाहिए। "

मौजूदा मामले में कोर्ट ने कहा कि सूट की संपत्ति पर कोई भार नहीं लगता, इसलिए याचिकाकर्ता द्वारा उठाया गया तर्क गलत है।

याचिकाकर्ता ने अदालत की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 के तहत संविधान के अनुच्छेद 215 के तहत अदालत का दरवाजा खटखटाया। आवेदक ने मुख्य रूप से विरोध किया कि हाईकोर्ट ने 2020 में आदेश पारित किया, जिसमें विपक्षी को सूट संपत्ति के स्वामित्व और भार के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया गया, जहां राजस्व रिकॉर्ड में प्रविष्टि के उत्परिवर्तन के लिए आवेदन दाखिल करके इसका उल्लंघन किया गया।

प्रतिवादी ने प्रस्तुत किया कि जैसा कि आरोप लगाया गया कि सूट संपत्ति पर कोई भार नहीं बनाया गया। प्रवेश के उत्परिवर्तन के लिए आवेदन निष्पादन कार्यवाही के आधार पर किया गया।

हाईकोर्ट ने कहा कि संपत्ति पर कोई भार नहीं बनाया गया। इसके अलावा, अपीलीय राजस्व प्राधिकरण ने प्रविष्टि को रद्द कर दिया। इस प्रकार, हाईकोर्ट के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा नहीं की गई।

केस नंबर: सी/एमसीए/827/2021

केस टाइटल: विमलाबेन प्रभुनाथ मिश्रा बनाम केतन चंद्रवादन सोनी

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