'हाईकोर्ट में पात्र वकीलों का अभाव नहीं' : आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन ने एससीबीए की ओर से जारी बयान वापस लेने की मांग की
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट एडवोकेट एडवोकेट्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को पत्र लिखकर उनसे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे वकीलों के खिलाफ अपनी वह 'अपमानजनक टिप्पणी' वापस लेने की मांग की है जो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के तौर पर पदोन्नति देने के संबंध में आठ जून 2021 को लिखे पत्र में की है।
एसोसिएशन ने हाईकोर्ट के वकीलों के खिलाफ की गयी टिप्पणी को अपमानजनक और असम्मानजनक करार देते हुए एससीबीए से आग्रह किया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के पात्र एवं योग्यता वाले वकीलों की पहचान करने के लिए सर्च कमेटी के गठन के अपने प्रस्ताव पर रोक लगाये।
एसोसिएशन ने गत शुक्रवार को भेजे अपने पत्र के जरिये किये गये अनुरोध में एससीबीए के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह की ओर से हस्ताक्षतरित पत्र का उल्लेख किया है, जिसमें सूचित किया गया है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) ने सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे वकीलों को हाईकोर्ट के जजों के तौर पर पदोन्नति देने के अनुरोध पर सहमति जतायी है।
एसोसिएशन ने पत्र में उल्लेखित उस 'अभूतपूर्व टिप्पणी' पर भी आपत्ति जतायी है, जिसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के वकील पेशागत तौर पर विभिन्न हाईकोर्ट में वकालत कर रहे वकीलों की तुलना में ज्यादा गुणवान होते हैं। एसोसिएशन ने अपने सहयोगियों के बारे में वकीलों के एसोसिएशन के अध्यक्ष के तौर पर इस तरह की टिप्पणी किये जाने को पूरी तरह अवांछित और असम्मानजनक करार दिया है।
पत्र में कहा गया है,
"यह जरूर समझना चाहिए कि अदालतों के वर्गीकरण से मेरिट के स्तर से कोई लेना देना नहीं है और यह केवल व्यक्ति की रुचि, सुविधा और कई अन्य कारकों पर आधारित होता है। हाईकोर्ट में पात्र एवं दक्ष वकीलों का कोई अभाव नहीं है।"
एसोसिएशन ने हाईकोर्ट के वकीलों की मेरिट के बारे में की गयी अवांछित टिप्पणी पर भी आपत्ति जताते हुए कहा है कि एसीसीबीए भी एक बार एसोसिएशन है और यह किसी भी प्रकार से विभिन्न हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन्स की तुलना में श्रेष्ठतर नहीं है। इतना ही नहीं, इसने यह भी कहा है कि महज इसलिए कि एससीबीए सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे वकीलों का एसोसिएशन है, यह नहीं कहा जा सकता कि वे उच्च पायदान पर हैं।
पत्र में कहा गया है,
"एससीबीए उन वकीलों की एक प्राइवेट बॉडी है, जो सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं और उसे कोई विशेष अधिकार या दर्जा नहीं दिया गया है।"
एसोसिएशन ने इस तरह की सिफारिशों के वास्ते एससीबीए द्वारा गठित किये जाने को लेकर प्रस्तावित 'स्वयंभू सर्च कमेटी' को नामंजूर कर दिया है और इसके लिए इकलौता तर्क दिया है कि वकीलों की एक निजी संस्था (एससीबीए) सिफारिश की प्रक्रिया को न तो संस्थानीकरण कर सकती है, न ही उसका हिस्सा बन सकती है।
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