दुर्भावना के आरोप झूठे, कंगना रनौत ने स्वीकृत योजना के विपरीत अपने परिसर में बहुत सारे बदलाव करवाए: एमसीजीएम ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया

Update: 2020-09-26 08:10 GMT

मुंबई महानगरपालिका ने शुक्रवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष एक जवाब (Sur-rejoinder) दाखिल किया, जिसमें कहा गया था कि कंगना रनौत के ऑफिस में तब्दील किए गए बंगले को ढहाने की कार्रवाई मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन एक्ट की धारा 354 ए के तहत की गई थी, और पूर्णतया न्यायोचित थी। अभिनेत्री की ओर से लगाए गए दुर्भावना के आरोप झूठे और अनुचित हैं, क्योंकि वह अपने परिसर में (छह मजदूर, सामग्री, आदि के साथ) व्यापक निर्माण करा रही थी और स्वीकृत निर्माण योजना के विपरीत पर्याप्त बदलाव और परिवर्धन किए थे।

संबंधित वार्ड के नामित अधिकारी भाग्यवंत लाते ने अभिनेत्री की याचिका के तहत दायर प्रत्युत्तर (Rejoinder)के जवाब में एमसीजीएम की ओर से एक प्रति-प्रत्युत्तर (Sur-rejoinder) दायर किया है, जिसमें याचिकाकर्ता द्वारा डिजाइनर मनीष मल्होत्रा ​​के घर का उदाहरण देकर लगाए गए पक्षपात के आरोपों से इनकार किया गया है। सिविक बॉडी ने स्पष्ट करने की मांग की है कि हालांकि मनीष मल्होत्रा ​​के घर में बदलाव किए गए थे, लेकिन वहां कोई मजदूर नहीं थे, इसलिए कोई भी काम नहीं चल रहा था।

शुक्रवार की सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील सीनियर एडवोकेट डॉ. बीरेंद्र सराफ ने इस बात से इनकार किया था कि उनके मुवक्किल के बंगले पर कोई काम चल रहा था और कहा कि जिन पांच मजदूरों (+1 सुपरवाइजर) को कथित तौर पर निगम द्वारा दिखाया गया था कि वो आम लोग थे, जो वहां खड़े थे, जब ढहाने का काम चल रहा था।

दस्तावेज़ में कहा गया है- "रिज्वाइंडर हलफनामे में, याचिकाकर्ता ने मनीष मल्होत्रा ​​(और आस-पास के परिसरों) का हवाला देकर मामले में पक्षपात और दुर्भावना का आरोप लगाते हुए यह भी कहा है कि कि प्रतिवादी को धारा 354A के तहत नोटिस जारी नहीं किया गया था, बल्‍कि धारा 351 के तहत नोटिस जारी किया गया था और श्री मल्होत्रा ​​को जवाब देने के लिए सात दिन का समय दिया गया था। मेरा कहना है कि द्वेष और पूर्वाग्रह के आरोप झूठे और अनुचित हैं। श्री मल्होत्रा ​​के परिसर के मामले में धारा 351 के तहत नोटिस जारी किया गया था, न कि धारा 354 के तहत, क्योंकि यह पाया गया था कि परिसर में बदलाव किए गए थे, ले‌किन वहां कोई मजदूर नहीं था, और परिसर में कोई काम नहीं चल रहा था।"

इसके बाद, सिविक बॉडी ने याचिकाकर्ता के आरोप का जवाब दिया है कि 5 सितंबर को उनके परिसर में काम का कोई पता नहीं चला था और इस तथ्य का उल्लेख किया है कि पहली न‌िरीक्षण रिपोर्ट में 7 सितंबर को पता लगाने की तारीख का उल्लेख किया गया है।

निगम ने कहा है कि रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाए। प्रति-प्रत्युत्तर (Sur-rejoinder) में कहा गया है-

"मैं कहता हूं कि याचिका और रिज्वाइंडर ने उत्तरदाताओं पर नीचता, नीच इरादे, साजिश और साजिश रचने के इरादे से अस्पष्ट और बेबुनियाद आरोप लगाए हैं। जैसा कि मैंने कहा है कि ये आरोप पलटवार के रूप में लगाए गए हैं। और इस तथ्य को छ‌‌िपाने के लिए कि याचिकाकर्ता गैरकानूनी रूप से काम करवा रही थी, जिससे परिसर में स्वीकृत भवन योजना के विपरीत, पर्याप्त बदलाव होता। स्वीकृत भवन योजना के विपरीत, मैं आगे कहता हूं और प्रस्तुत करता हूं कि यह अच्छी तरह से तय है कि जब एक कानूनी इकाई पर द्वेष / दुर्भावना का आरोप लगाया जाता है, जैसा कि उत्तरदाताओं के मामले में है, यह वास्तव में तथ्यों में द्वेष का मामला नहीं होता, बल्‍कि कानून में द्वेष यानी कानूनी दुर्भावना हो सकती है।

रिकॉर्ड स्थापित किया गया कि याचिकाकर्ता अपने परिसर में (छह मजदूरों और सामग्री के साथ) व्यापक काम करा रही थी और स्वीकृत भवन योजना के विपरीत पर्याप्त बदलाव ‌‌किए गए था, धारा 354A के तहत कार्रवाई पूरी तरह से उचित थी और दुर्भावना के आरोप अनुचित और गलत हैं।"

अब इस मामले की सुनवाई 28 सितंबर (सोमवार) को सुबह 11 बजे होगी।

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