इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुरुष को वयस्क महिला की कस्टडी सौंपने पर एसएचओ को फटकार लगाई, एसएसपी से स्पष्टीकरण मांगा
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने सोमवार को जिला बदायूं के एक पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी को फटकार लगाई क्योंकि उन्होंने एक वयस्क महिला (शिवानी गुप्ता नाम की) की कस्टडी एक अन्य वयस्क पुरुष (स्वाले रजा नाम) को सौंपने का 'आदेश' दिया था ।
न्यायमूर्ति जहांगीर जमशेद मुनीर की खंडपीठ ने एसएसपी, बदायूं से दो दिनों में एक व्यक्तिगत हलफनामा भी मांगा क्योंकि अदालत ने इसे अप्रिय बताया कि कैसे एक वयस्क की कस्टडी दूसरे वयस्क को दी जा सकती है, और वह भी एक पुलिस अधिकारी द्वारा।
कोर्ट ने टिप्पणी की,
"एक वयस्क जहां चाहे वहां जाने के लिए हमेशा स्वतंत्र होता है, लेकिन शिवानी गुप्ता की कस्टडी स्वाले रजा को सौंपना, एक वयस्क की अपनी इच्छा के अनुसार रहने की स्वतंत्रता को कम करने वाला कार्य प्रतीत होता है। यहां शिवानी गुप्ता को स्वाले रजा की देखरेख और नियंत्रण में रखा गया है।"
कोर्ट ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, बदायूं को 9 फरवरी, 2022 तक अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है, जिसमें यह संकेत दिया गया है कि किन परिस्थितियों में, स्टेशन हाउस अधिकारी, बिनावर, जिला बदायूं द्वारा एक वयस्क की कस्टडी किसी अन्य वयस्क को सौंपी जा सकती है और कैसे उसने अपने अधीनस्थों द्वारा इस प्रकार की कार्यवाही करने की अनुमति दी।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, बदायूं को भी यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया गया है कि थाना प्रभारी ने किस कानून के तहत कस्टडी आदेश पारित किया, जिसे केवल एक अदालत ही पारित कर सकती है।
पूरा मामला
अनिवार्य रूप से, आईपीसी की धारा 498 के तहत मामले में जांच के दौरान, थाना प्रभारी, थाना बिनावर ने 25 मई, 2021 को शिवानी गुप्ता की कस्टडी में स्वाले रजा को सौंप दिया।
इसके साथ ही यह भी निर्देश दिया गया था कि जब भी आवश्यक हो, शिवानी गुप्ता और उनकी बेटी इशिका को पुलिस के सामने पेश किया जाए।
केस का शीर्षक - स्वाले रज़ा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य
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