इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस स्टेशनों के बाहर लापरवाही से पड़े जब्त वाहनों पर संज्ञान लिया, राज्य से जवाब मांगा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को पूरे उत्तर प्रदेश राज्य में पुलिस स्टेशनों के बाहर लापरवाही से पड़े जब्त वाहनों के उचित स्टोरेज और रिलीज़ के संबंध में राज्य के अधिकारियों को निर्देश देने के लिए दायर एक पत्र याचिका पर संज्ञान लिया।
एडवोकेट शुभम अग्रवाल ने एक पत्र याचिका दायर की जिसमें ऐसे जब्त किए गए वाहनों के बढ़ते स्टॉक के खतरे को उजागर किया गया।
याचिका में कहा गया कि विभिन्न नागरिक और आपराधिक मामलों के लंबित होने के कारण वाहन मालिकों को वाहन वापस नहीं किए जा रहे हैं। गाड़ियां बाहर खुले में पड़ी थीं और मौसम परिवर्तन के कारण क्षतिग्रस्त हो रही हैं। इसके अलावा ऐसे वाहन पुलिस स्टेशनों से सटे सार्वजनिक सड़क पर अतिक्रमण का कारण बन रहे थे और उन्हें कबाड़खाने में बदल रहे थे क्योंकि ऐसे वाहनों के उचित स्टोरेज के लिए कोई जगह निर्धारित नहीं है। जब्त किए गए वाहनों के स्टोरेज के संबंध में नियमों की कमी को अदालत के समक्ष उजागर किया गया था। बताया गया कि वाहन कुछ ही समय में कबाड़ में तब्दील हो जाते हैं, जिससे न सिर्फ मालिक को नुकसान होता है, बल्कि सरकारी खजाने को भी नुकसान होता है।
प्रयागराज में कैंटोनमेंट पुलिस स्टेशन के सामने पड़े जब्त वाहनों की विशिष्ट तस्वीरें अदालत के सामने लाई गईं। अग्रवाल ने प्रस्तुत किया कि जब्त किए गए वाहनों के खतरे की जांच करने की आवश्यकता है और ऐसे वाहनों के ढेर को रोकने के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए, चाहे वे चार पहिया वाहन हों या दो पहिया वाहन, कबाड़ में बदलने से और सड़क पर चलने लायक न होने के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय बर्बादी होती है।
मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की पीठ ने नोटिस जारी किया और राज्य को मामले में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
मामले को 28 नवंबर को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया गया है।